Thursday 28 June 2012

सड़कें कहाँ से आई हैं



सड़कें कहाँ से आई हैं 

और कहाँ तक जाएँगी 

शायद कोई नहीं जानता

जाने भी कैसे

ये तो इक मुसाफिर को

उसकी मंजिल पे छोड़ कर

आगे बढ़ जाती है

फिर किसी और मुसाफिर को

उसकी मंजिल तक छोड़ने

और ये सिलसिला

यूँ ही चलता रहता है अनवरत

मुसाफिरों को

उनकी मंजिलों तक पहुंचा कर

सड़कें आगे बढ़ जाती हैं

किसी को बताये बिना

कि ये कहाँ से आयीं हैं

और कहाँ तक जाएँगी 




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