Thursday 28 June 2012

धूल धूसरित हूँ मैं प्रिये

धूल धूसरित हूँ मैं प्रिये 

आलिंगन कैसे करूं तुम्हारा

धूल के ये कण 

तुम्हारा श्रृंगार मिटा ना दें

इनकी सोंधी महक

तुम्हारी खुशबू घटा ना दें 

इनसे लिपट कर

तुम्हारे जुल्फें रेशम रेशम ना रहें 

तुम्हारा कोमल गोरा बदन 

कहीं ख़ुश्क औ' श्यामल ना हो जाये

नहीं नहीं

मैं तुम्हे तुमसे जुदा नहीं कर सकता

तुम हो कोमल कंचन काया वाली

मैं हूँ कठोर जंगल का वासी

मुझे ही खुद को बदलना होगा

हाँ प्रिये तुम्हे पाना है तो

मुझे खुद को बदलना होगा 

तुम जैसी हो वैसी ही रहना

प्रिये तुम्हीं हो मेरी कल्पना 

और मैं 

अपनी कल्पना को छोड़ नहीं सकता

किस्मत ने मुझे तुमसे मिलाया है

मैं उस राह को मोड़ नहीं सकता

1 comment:

  1. किस्मत ने मुझे तुमसे मिलाया है

    बहुत ही प्यारी अभिव्यक्ति ..../

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