Thursday 28 June 2012

हमारा घर



आओ चलो हम इक घर बनायें 

छोटा सा प्यारा सा घर बनायें 

उस घर में 

खुशियों की दीवारें होंगी 

विश्वास का छत होगा 

आशाओं की बगिया होगी 

उल्लासों का झरना होगा 

वो घर अपना होगा 

उस घर में 

हम दोनों रहेंगे

हमारी खुशियाँ रहेंगी 

उस घर में 

हमारे मिलन के फूल खिलेंगे 

हम दोनों उन फूलों को

अपने प्यार से सींचेंगे 

जब वो मुस्कुराएगा 

हमारा सवेरा होगा

समय की इस आप धापी में 

उम्र की दोपहरी में 

जब धुप गरमाएगी 

तुम्हारे आँचल में अपना सर ढक कर मैं मुस्कुराऊंगा 

उम्र का हर इक लम्हा हम साथ होंगे 

अपने उस छोटे से घर में 

खुशियों की दीवारों के बीच 

विश्वास के छत के नीचे 

आओ चलो इक घर बनायें 



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