आओ चलो हम इक घर बनायें
छोटा सा प्यारा सा घर बनायें
उस घर में
खुशियों की दीवारें होंगी
विश्वास का छत होगा
आशाओं की बगिया होगी
उल्लासों का झरना होगा
वो घर अपना होगा
उस घर में
हम दोनों रहेंगे
हमारी खुशियाँ रहेंगी
उस घर में
हमारे मिलन के फूल खिलेंगे
हम दोनों उन फूलों को
अपने प्यार से सींचेंगे
जब वो मुस्कुराएगा
हमारा सवेरा होगा
समय की इस आप धापी में
उम्र की दोपहरी में
जब धुप गरमाएगी
तुम्हारे आँचल में अपना सर ढक कर मैं मुस्कुराऊंगा
उम्र का हर इक लम्हा हम साथ होंगे
अपने उस छोटे से घर में
खुशियों की दीवारों के बीच
विश्वास के छत के नीचे
आओ चलो इक घर बनायें
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