रेत की घड़ी की तरह
समय ससर रहा था
मैं हर सांस
उसे पकड़ने की कोशिश कर रहा था
इस उम्मीद में कि
शायद कोई एक पल
मैं अपनी मुट्ठी में बांध लूं
और फिर
ज़िन्दगी की आप धापी में
जब फुरसत मिले तो
उस पल को
उसकी रौ में जी लूं
पर कहाँ ये मुमकिन था
समय अपनी रफ़्तार
कभी कम नहीं करता
और ना ही कभी समय
कहीं पर दम भरता
जो भी है बस इस पल में है
जीना है तो जी लो वरना
जीवन भर पछताना होगा
फिर ना वो समय होगा
ना ही कोई अफसाना होगा
समय ससर रहा था
मैं हर सांस
उसे पकड़ने की कोशिश कर रहा था
इस उम्मीद में कि
शायद कोई एक पल
मैं अपनी मुट्ठी में बांध लूं
और फिर
ज़िन्दगी की आप धापी में
जब फुरसत मिले तो
उस पल को
उसकी रौ में जी लूं
पर कहाँ ये मुमकिन था
समय अपनी रफ़्तार
कभी कम नहीं करता
और ना ही कभी समय
कहीं पर दम भरता
जो भी है बस इस पल में है
जीना है तो जी लो वरना
जीवन भर पछताना होगा
फिर ना वो समय होगा
ना ही कोई अफसाना होगा
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