माँ ---
कितना कुछ है
बस इस एक शब्द में
पूरी दुनिया
सारी सृष्टि
पूरा संसार है
माँ तो बस प्यार है
आज यादों के झरोखों से
कुछ पल निकाला है मैंने
शायद ही कोई पल हो
जब तू मेरे साथ नहीं
मेरे माथे पे तेरा वो सुखद स्पर्श
जब जरा सा भी मैं बीमार हुआ
तेरे माथे की वो शिकन
मुझे कहीं जरा जो दर्द हुआ
मेरी यादों में अब भी शामिल हैं
जब भी मुझे कुछ हासिल हुआ
तू थी वो जिसके पास मैं सबसे पहले दौड़ा
मेरी भूख से भूखी
मेरे प्यास से प्यासी
खुद को मुझमें भुला दिया
मेरी गलतियों को
अपनी पुचकार से सुधारा तुने
मेरे सपनो को
अपनी आँखों में उतारा तुने
ज़िंदगी की तपती धुप से
तेरी ममता की छांव ने बचाया हमें
तेरी सूरत में हरदम
भगवन नज़र आया हमें
तेरा ऋण हम कैसे उतारेंगे माँ
तेरी ममता का कोई मोल नहीं
तेरे प्यार का कोई तोल नहीं
अनमोल है तू मेरी माँ
तुझसे ऊपर कोई बोल नहीं
कितना कुछ है
बस इस एक शब्द में
पूरी दुनिया
सारी सृष्टि
पूरा संसार है
माँ तो बस प्यार है
आज यादों के झरोखों से
कुछ पल निकाला है मैंने
शायद ही कोई पल हो
जब तू मेरे साथ नहीं
मेरे माथे पे तेरा वो सुखद स्पर्श
जब जरा सा भी मैं बीमार हुआ
तेरे माथे की वो शिकन
मुझे कहीं जरा जो दर्द हुआ
मेरी यादों में अब भी शामिल हैं
जब भी मुझे कुछ हासिल हुआ
तू थी वो जिसके पास मैं सबसे पहले दौड़ा
मेरी भूख से भूखी
मेरे प्यास से प्यासी
खुद को मुझमें भुला दिया
मेरी गलतियों को
अपनी पुचकार से सुधारा तुने
मेरे सपनो को
अपनी आँखों में उतारा तुने
ज़िंदगी की तपती धुप से
तेरी ममता की छांव ने बचाया हमें
तेरी सूरत में हरदम
भगवन नज़र आया हमें
तेरा ऋण हम कैसे उतारेंगे माँ
तेरी ममता का कोई मोल नहीं
तेरे प्यार का कोई तोल नहीं
अनमोल है तू मेरी माँ
तुझसे ऊपर कोई बोल नहीं
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