Thursday, 28 June 2012

कन्या भ्रूण हत्या - एक सवाल

आज अचानक

यह सोच कर दिल दहल गया 

क्या होता अगर 

इस सृष्टि की

पहली कन्या भ्रूण की हत्या हो जाती 

क्या फिर कहीं कोई बेटा होता

क्या फिर कहीं पर दीप जलता 

क्या फिर कहीं कोई दावत होती 

क्या फिर हम कोई गीत गाते 

क्या फिर वो अपनी किस्मत पर इतराते 

शायद फिर ये सृष्टि ना होती 

कहने को कोई हस्ती ना होती 

करने को कोई मस्ती ना होती 

गाने को कोई गीत ना होता 

कहने को कोई मीत ना होता 

ना कोई रंग ना कोई उमंग 

सब कुछ सूना सूना होता 

धरती का कोना कोना सोता 

ना हम होते ना वो होता 

ना हम पाते ना वो खोता 

ना हम हँसते ना वो रोता 

नहीं नहीं ये नहीं हो सकता 

ऐसा कभी नहीं हो सकता 

आज अचानक

यह सोच कर 

दिल दहल गया 

आओ हम सब मिलकर 

आज ये संकल्प उठायें 

नहीं होगी अब कोई कन्या भ्रूण हत्या 

हर माँ बाप ये कसम खाएं




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