जी चाहता है
गुमनामियों के अँधेरे में
खो जाऊं कहीं
इस नाम से
अब दर्द होने लगा है
ज़िन्दगी के हर मोड़ पर
खड़े हैं
कितने जाने पहचाने चेहरे
तकते हुए मुझे
अपनी उम्मीदों की नज़र से
उनकी उम्मीदों से
मेरा मन
अब सर्द होने लगा है
जब देखता हूँ
हर गुज़रते हुए
लम्हों में
सबकी बढ़ती हुई
चाहतों को
मुझसे
मेरी चाहत मांगती हुई
मेरी चाहत
घबरा जाती है
इन चाहती हुई
चाहतों से
और मेरी चाहत का रंग
अब ज़र्द होने लगा है
गुमनामियों के अँधेरे में
खोकर
शायद मैं खुद को
फिर से पा सकूं
खो गया था
मेरा मैं जो
मेरे नाम के शोर में
उसको गुमनाम बना सकूं
कि फिर ना कोई
उम्मीदों की नज़र से
ढूंढ पाए मुझे
इन गुमनामियों के अँधेरे में
मुझे
मेरे नाम से
जोड़ने के लिए
या फिर कोई
चाहत अपनी लेकर
ना हो परेशां
मेरी चाहतों को
अपनी चाहतों से
जोड़ने के लिए
ये गुमनामी के अँधेरे अच्छे हैं
मुझे मेरी हालातों पे
छोड़ने के लिए
और शायद सबकी
उम्मीदों और चाहतों से नाता
तोड़ने के लिए
गुमनामियों के अँधेरे में
खो जाऊं कहीं
इस नाम से
अब दर्द होने लगा है
ज़िन्दगी के हर मोड़ पर
खड़े हैं
कितने जाने पहचाने चेहरे
तकते हुए मुझे
अपनी उम्मीदों की नज़र से
उनकी उम्मीदों से
मेरा मन
अब सर्द होने लगा है
जब देखता हूँ
हर गुज़रते हुए
लम्हों में
सबकी बढ़ती हुई
चाहतों को
मुझसे
मेरी चाहत मांगती हुई
मेरी चाहत
घबरा जाती है
इन चाहती हुई
चाहतों से
और मेरी चाहत का रंग
अब ज़र्द होने लगा है
गुमनामियों के अँधेरे में
खोकर
शायद मैं खुद को
फिर से पा सकूं
खो गया था
मेरा मैं जो
मेरे नाम के शोर में
उसको गुमनाम बना सकूं
कि फिर ना कोई
उम्मीदों की नज़र से
ढूंढ पाए मुझे
इन गुमनामियों के अँधेरे में
मुझे
मेरे नाम से
जोड़ने के लिए
या फिर कोई
चाहत अपनी लेकर
ना हो परेशां
मेरी चाहतों को
अपनी चाहतों से
जोड़ने के लिए
ये गुमनामी के अँधेरे अच्छे हैं
मुझे मेरी हालातों पे
छोड़ने के लिए
और शायद सबकी
उम्मीदों और चाहतों से नाता
तोड़ने के लिए
कोशिश कर लीजिये...
ReplyDeleteजो गुमनामी के अँधेरे भी रास न आये तो क्या कीजियेगा.....
फिर चाहतें ढूँढने से भी नहीं मिलीं तो क्या कीजियेगा .........
खूबसूरत रचना के लिए बधाई
मुश्किल से तो आन हुआ, कैसे टिप्पणी रहने दे जी। अद्भुत..!!
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