Friday 19 October 2012

कभी सोचा ऐसा क्यूँ किया

दर्द तुमने भी दिया

दर्द हमने भी दिया

दिल दोनों का दुखा

कभी सोचा ऐसा क्यूँ किया ?

प्यार तुम भी कर सकते थे

प्यार हम भी कर सकते थे

पर प्यार दोनों ने नहीं किया

कभी सोचा ऐसा क्यूँ किया ?

सोच अलग थी तुम्हारी

सोच अलग थी हमारी

हमने क्यूँ नहीं सोचा

कभी सोचा ऐसा क्यूँ किया ?

राह अलग मंजिल अलग तुम्हारी

राह अलग मंजिल अलग हमारी

फिर साथ क्यूँ चले भला

कभी सोचा ऐसा क्यूँ किया ?

ज़िन्दगी भर का गम तुम्हें मिला

ज़िन्दगी भर का गम हमें मिला

फिर क्यूँ चला ये सिलसिला

कभी सोचा ऐसा क्यूँ किया ?

1 comment:

  1. सुभह सुभह मैं ब्लॉग मे शिरकत करती सभी के यहाँ भी बे-रोक टॉक आ गई, एक अच्छी रचना। किन्तु एक पंक्ति 2 बार आ गई है कृपया उसको हटा दें। और ? का प्रयोग भी कृपया रचना मे जरूर करें।
    एक सुंदर रचना।

    ReplyDelete