Sunday 28 October 2012

मेरे होने की कीमत

हर रिश्ता यहाँ

मुझसे

मेरे होने की कीमत

मांगता है

निभाने को

जितने भी दस्तूर हैं

सारे

वो सब हैं बस मेरे

सहारे

सब ख़ता पर ख़ता

किये जाएँ

तो कोई गम नहीं

मेरी नाकामियों पर

मुझे सज़ा

दिए जाएँ

तो कोई गम नहीं

हसरतों ने जब भी मेरी

करवटें बदली हैं

नज़र ज़माने की

उस पर लगी हैं

सबकी हसरतों में

मुझको

सबकी चाहों के रंग में

ढलना है

पर अगर हसरत हमने की

तो उसे सीने में ही

दफ़न करना है

चाहतों पर भी मेरे

यहाँ

सब की नज़र का

पहरा है

चाहूँ मैं कुछ दिल से अगर

क्यूँ सबको एतराज

ठहरा है

अब यहाँ सासें मेरी

घुटने लगी हैं

ऐसी ज़िन्दगी से तो

मौत ही भली है




4 comments:

  1. Yahi to jatilataa hai rishton kee, insaan samajh paata nahi aur rishte ulajhte jaate hain...
    Bahut sundar likhe hain bhaiyu !!

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  2. कभी कभी रिश्तों में जो जैसा दिखता है वैसा होता नहीं हैं .......नजरिया बदल कर देखे ...हर रिश्ता अपना और करीब लगेगा :)))

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  3. rishte jiye jate hain ...... nibhaye jaate hain or har rishte main koi ek jyada koshish karta hain ........bahut khoob bhav

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  4. मुझे मेरे भावों का आइना मिला .... उन्हें शब्दों में पा कर लुछ सुकून भी

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