आज अभी अभी
उनकी आवाज़
आई कहीं से
यूँ लगा
ज़िन्दगी ने पुकारा हमें
जैसे
बुझे हुए चिरागों को
शम्मा की
रौशनी मिल गई
साँसों में मेरे
रवानगी आ गई
धडकनें फिर से
सज़ गईं
लहू दौड़ने लगा
रगों में
मिजाज़ में
इक दीवानगी आ गई
ज़िन्दगी से यूँ
रु-ब-रु होना
जैसे मकसद हो
ज़िन्दगी का
वो आवाज़ देते रहें
पुकारते रहें हमें
हम यूँ ही
ज़िन्दगी जीते रहें
उनकी आवाज़
आई कहीं से
यूँ लगा
ज़िन्दगी ने पुकारा हमें
जैसे
बुझे हुए चिरागों को
शम्मा की
रौशनी मिल गई
साँसों में मेरे
रवानगी आ गई
धडकनें फिर से
सज़ गईं
लहू दौड़ने लगा
रगों में
मिजाज़ में
इक दीवानगी आ गई
ज़िन्दगी से यूँ
रु-ब-रु होना
जैसे मकसद हो
ज़िन्दगी का
वो आवाज़ देते रहें
पुकारते रहें हमें
हम यूँ ही
ज़िन्दगी जीते रहें
mast
ReplyDeleteआपकी हर रचना में दिल
ReplyDeleteकी गहराई तक उतरने की कला है।