Saturday 6 October 2012

दिल से ...



यूँ तेरा आना
नज़रें झुकाना
और दिल पे छा जाना 

तुम्हारी मुस्कान
मेरी बरकत
मेरा जहान

तपती धूप
तुम्हारा साया
मन हरसाया

तुम सावन
बरसा नेह
भींगे हम

भोर का सूरज
लाली उसकी
सिन्दूर तुम्हारा



1 comment:

  1. आपके शब्दों में ताजगी है और देसी मिठास भी।
    बधाई..!!

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