Monday 8 October 2012

रास्ते का पत्थर

रास्ते का पत्थर

क्यूँ न बन पाया

पत्थर उस मूरत का

जो देव कहलाते हैं

मंदिरों में

क्या वह छोटा था

तराशा नहीं जा सकता था

या फिर

रास्ते पर पड़ा होने से

स्वीकारा नहीं जा सकता था

वो तो चाहता नहीं था

रास्ते पर यूँ ठोकरें खाना

उसका भी स्वप्न था

मंदिरों में पूजा जाना

नियति ने उसको

रास्ते का पत्थर

बना दिया

जहां ठोकरों ने

उसे रुला दिया

अब वह

अवान्छितों को

भगाने के लिए

उठा कर

मारा जाता है

और

ठोकर खाकर

रास्ते में

यूँ ही पड़े रहना

अब उसे भी भाता है

अब वो

रास्ते का पत्थर

कहा जाता है






1 comment:

  1. माँ सरस्वती आप पर अपनी कृपा बनाए रखें...!!

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