Wednesday 10 October 2012

मेरी कायनात तुम हो

गज़ल भी तुम हो

शे'अर् भी तुम हो

नज़्म भी तुम हो

गीत भी तुम हो

गुल भी तुम हो

गुलशन भी तुम हो

शफ़क भी तुम हो

चाँद भी तुम हो

तारे भी तुम हो

कहकशां भी तुम हो

राह भी तुम हो

मंजिल भी तुम हो

सागर भी तुम हो

साहिल भी तुम हो

दिल भी तुम हो

जज़्बात भी तुम हो

और क्या कहूँ अब मैं

मेरी सारी कायनात तुम हो 

4 comments:

  1. Replies
    1. मैं निशब्द हूँ!!!!!

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  2. प्रेम की परम पराकाष्ठा.....:)

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  3. इक एहसास जिसमे जिया जा सकता है ......... बहुत खूब ......

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