दिल में तो तुमसे बिछड़ने का ग़म था,
हर सांस में तेरा एहसास कम था।
तेरे जाने के बाद जो सूना हुआ,
हर लफ़्ज़ मेरा अब बेज़रर सा नम था।
तन्हाइयों ने घर बना लिया दिल में,
अब रौशनी से भी कुछ डर सा रहता है।
तारों से बातें होती हैं रातों में,
तेरे बिना चाँद भी बेअसर सा लगता है।
वो जो हँसी तेरे नाम पर आती थी,
अब तो वो भी आह बनकर बहती है।
तेरे ख़त, तेरी तस्वीरें, वो गाने,
सब एक टूटे हुए वक़्त की परछाइयाँ हैं।
अब कोई आकर पूछता नहीं हाल मेरा,
जैसे मैं भी किसी गुज़री कहानी का हिस्सा हूँ।
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