Friday, 25 April 2025

तू और ये दिल

 तेरे बदन को छूकर जो हवा आती है,

मेरी सांसों को महका जाती है।

जैसे फूलों की खुशबू में तू बसी हो,

हर फूल तेरा ही पैग़ाम लाती है


तेरे करीब होने का एहसास यूँ होता है,

जैसे हर पल कोई मेरा नाम लेता है।

तेरी हँसी की मिठास घुल जाए फ़िज़ाँ में,

जैसे चाँदनी रात उतर आए आसमाँ में 


तेरी पलकों की छाँव में ये दिल सो जाए,

तेरे ख्वाबों की रौशनी से मेरी हर रात रोशन हो जाए।

तेरे बिना भी तू हर जगह साथ लगे,

जैसे धड़कनों में बसी तेरी कोई बात लगे।


हवा जब तेरे आंचल से खेलती है,

तेरी बाहों के घेरे नर्म जेल सी लगती है।

तेरा नाम इन लबों पे खुद-ब-खुद आ जाता है,

जैसे कोई दुआ दिल से निकल कर जुबां  पे आ जाता है।


ये जो फिज़ा है, ये जो समां है,

तेरे प्यार का ही हर इक बयां है।

मेरी दुनिया में तू एक गीत बनकर छाया है,

तेरे छूने से मेरा हर इक लम्हा मुस्कुराया है।

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