मैं तेरा नाम किसको बताऊं,
मैं अपना हाल किसको सुनाऊं,
तेरी यादों की सूनी गलियों से
अब तुझको मैं कैसे बुलाऊं
तन्हा सी इन रातों की मशाल मैं,
तेरे बिना कैसे जलाऊं;
खामोशी में तेरी हँसी की गूँज,
आँखों से कैसे बहाऊं।
उस मोड़ पर ठहरा मेरा दिल,
जहाँ तू मेरे साथ नहीं;
उस राह पर चलने को
तुझको मैं कैसे मनाऊं
चाँदनी से गीली आँखों में
तेरा अक्स ये दिल ढूँढता है
तेरी तस्वीर से मैं अब
इस दिल को कैसे बहलाऊं
कैसे और किस से कहूं
कि तेरे ज़िक्र से जिंदा हूँ मैं
ज़िंदगी के वीराने में अब
तुझको कहां से ढूंढ कर लाऊं
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