तुमसे मिल कर होश खो बैठा हूँ,
खुद से, खुद को ही खो बैठा हूँ।
तेरी आंखों में जो गहरा सागर है,
उसी में डूब कर कहीं खो बैठा हूँ।
तेरी सांसों की वो मीठी महक,
मुझ पर अब तक छाई हुई है।
सालों की जो दूरी थी हमारी,
तेरे एक छूने से मिटाई हुई है।
तू सामने आई तो जैसे,
वक़्त भी ठहर गया एक पल को।
तेरे बिना अधूरा था मैं,
अब पूरा किया है तुमने इस दिल को।
हर लम्हा तुझसे मिलने की दुआ करता रहा,
अब तुझको पाकर, खुदा को पा बैठा हूँ।
तुमसे मिल कर होश खो बैठा हूँ,
खुद से, खुद को ही खो बैठा हूँ।
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