कल जब वो मुझसे ख़फ़ा था,
मेरा रूह मुझसे जुदा था —
तड़पने के सिवा और कोई रास्ता नहीं था,
क्योंकि मेरे पास मेरा ख़ुदा नहीं था।
आज भी उसकी याद
हर लम्हा मुझको तड़पाती है
उसकी ख़ामोशी की आंच
मेरे जज़्बात को रुलाती है
वो रूठी होंठों पर दबा लेती थी मुस्कान,
उनके पीछे कहीं खो जाते थे मेरे अरमान
वो मुस्कान अब मेरी सूनी रातों का सहारा है
जिसके उजालों ने मेरी तन्हाइयों को संवारा है
उसके बिना हर ख़ुशी नामुक़म्मल सी,
हर सपना अधूरा, हर बात बे अमल सी
ये वफ़ा का दर्द, ये फासलों का खेल,
कैसे होगा इन धड़कनों का मेल
जब वो लौटेगी—कहीं वो ख़बर भी तो मिले—
मेरे सूने दिल में छाया सन्नाटा बा जुबां होकर खिले
उम्मीद की इस लौ कभी बुझने न दूंगा
क्योंकि प्यार किया है तो उसको कभी खोने न दूंगा
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