Friday, 25 April 2025

तुझको ख़ुदा जानकर - 1

 तुझको ख़ुदा जानकर,

सजदे में जो सर झुकाया,

ज़माने ने मुझको

काफ़िर बताया।


मैं तो इश्क़ में

हर हद से गुजर गया,

तेरी दीद की आस में

मैं रब से भी लड़ गया


तेरे नाम की खुशबू

मेरी सांसों में समाई थी,

हर साँस में बस

तेरा ही नाम आया।


लोग कहते रहे,

ये इश्क़ तो फ़ना कर देगा,

मैं मुस्कुराया—कहा,

इसी फ़ना में तो मैंने मेरा ख़ुदा पाया


तेरे दर पर जो बैठा,

तो जन्नत सी लगी हर शाम,

ज़माना कितना भी रुसवा करे,

ये दिल लेता है बस तेरा नाम


तुझको ख़ुदा जानकर,

सजदे में जो सर झुकाया,

ज़माने ने मुझको

काफ़िर बताया,

पर मुझे तो इश्क़ में

बस तेरा ही रस्म-ओ-दर पाया।

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