रूहों के सफर के मेरे हमसफर,
तेरे नूर से रोशन है हर एक सफर।
तू ही है मंज़िल, तू ही है राह,
तेरे ज़िक्र में मिलती है मुझको पनाह।
इबादत सी लगती है तेरी सदा,
तेरे नाम में छुपी है मेरी दुआ।
मैं फना हो जाऊँ तेरे असर में,
जैसे क़लाम डूबे रब के जिक्र में।
न मैं रहा, न मेरा रहा कुछ भी,
जब से तू आया दिल के शहर में
बस अब तू है और तेरा जिक्र है
तेरे सुकून की बस अब फिक्र है
रूहों के सफर के मेरे हमसफर,
तेरे संग हर लम्हा लगे मुकम्मल सफर।
तेरी साँसों से चलती है मेरी हवा,
तू जो न हो तो लगे सब कुछ फिज़ा।
तेरे बिना हर ख्वाब अधूरा लगे,
दिल ये मेरा तन्हा और सूना लगे।
तू मिले तो मिल जाए हर एक जवाब,
तेरे प्यार में ही तो बसी है ये किताब।
No comments:
Post a Comment