Monday, 28 April 2025

गीत: "तुम मेरा पहला प्यार हो" - 2

 मुखड़ा:

तुम मेरा पहला प्यार हो

सीने की पहली धड़कन

ज़िन्दगी की पहली सांस

इस दिल का पहला क़रार हो

तुम मेरा पहला प्यार हो


अंतरा 1:

पहली भोर की पहली किरण

आँखों की पहली चमक

चांदनी रात का पहला इंतज़ार

सपनों की पहली झलक

हवाओं का पहला गीत

फूलों की पहली महक

तुम बसी हो हर एहसास में

जैसे रूह की पहली चमक


(मुखड़ा दोहराव)

तुम मेरा पहला प्यार हो...


अंतरा 2:

पहली बारिश की वो फुहार

पहली दुआओं का इकरार

पहली नज़र का पहला खुमार

पहली हँसी की बहार

सागर की पहली लहरों सा

मन का पहला संगीतमय शोर

तुम हो हर धड़कन की बात

तुम से ही शुरू, तुम पे ही पूरा सफ़र


(मुखड़ा दोहराव)

तुम मेरा पहला प्यार हो...


अंतरा 3 (ब्रिज जैसा थोड़ा इमोशनल):

तेरे बिना अधूरी सांसें

तेरे बिना सूने जज़्बात

तू मिले तो जगे हर सपना

वरना बस वीरान रात

तुम हो वो पहली आरज़ू

जिसपे ये दिल कुर्बान हो

तुम हो वो पहली मोहब्बत

जिसका हर पल सम्मान हो


(मुखड़ा एक बार और बड़े इमोशन में)

तुम मेरा पहला प्यार हो...

तुम मेरा पहला प्यार हो - 1

 तुम मेरा पहला प्यार हो

सीने की पहली धड़कन

ज़िन्दगी की पहली सांस

इस दिल का पहला क़रार हो


तुम मेरा पहला प्यार हो

पहले भोर की पहली किरण

आंखों की पहली चमक

चांदनी रात का पहला इंतज़ार हो


तुम मेरा पहला प्यार हो

हवाओं का पहला गीत

फूलों की पहली महक

ख्वाबों का पहला इज़हार हो


तुम मेरा पहला प्यार हो

बरसात की पहली फुहार

सपनों की पहली उड़ान

इश्क़ का पहला इज़हार हो


तुम मेरा पहला प्यार हो

सागर की पहली लहर

बांसुरी की पहली धुन

दिल की अनकही पुकार हो


तुम मेरा पहला प्यार हो

पहली बारिश की सौगंध

पहली दुआओं का रंग

रूह की पहली बहार हो


तुम मेरा पहला प्यार हो

पहली नज़र का खुमार

पहली मुलाक़ात का असर

जैसे किसी दास्ताँ का प्यार हो

गीत: "तुम मेरा पहला प्यार हो" - 1

 मुखड़ा:

तुम मेरा पहला प्यार हो,

धड़कती सांसों का इज़हार हो,

बिखरी किरणों की पहली चमक,

मन के आँगन का त्योहार हो,

तुम मेरा पहला प्यार हो...


अंतरा 1:

तुम पहली बारिश की नर्म बूँद,

भीगे सपनों की पहली गूँज,

पहली मुस्कान की मीठी बात,

पहली दुआ का असर खास हो।

छुपते लफ्जों में बसी सदा,

दिल की पहली आवाज़ हो,

तुम मेरा पहला प्यार हो...


अंतरा 2:

तुम पहली साँझ का मीठा रंग,

चुपके से उठती पहली उमंग,

सजती राहों का पहला सफर,

सपनों का पहला आसमान हो।

हर धड़कन में बसी आरज़ू,

हर नज़र में पहली प्यास हो,

तुम मेरा पहला प्यार हो...


(मुखड़ा फिर से दोहराना)

तुम मेरा पहला प्यार हो...

गीत: "तुम मेरा पहला प्यार हो"

 


मुखड़ा:

तुम मेरा पहला प्यार हो,

सीने की पहली धड़कन,

ज़िन्दगी की पहली सांस,

इस दिल का पहला क़रार हो,

तुम मेरा पहला प्यार हो...


अंतरा 1:

पहली धुन के मीठे सुरों में,

पहली रागिनी की तान हो,

नीली घाटियों की पहली गूँज,

फिज़ाओं में बसी पहली जान हो।

पहली बार जो मन ने चाहा,

वो हर दुआ का इज़हार हो,

तुम मेरा पहला प्यार हो...


अंतरा 2:

पहली बरसात की पहली बूँदें,

पहली ठंडी हवाओं का गीत,

पहली बार जो भीगा था मन,

उस मधुर प्रेम की पहली रीत।

पहली नज़र में बसा जो सपना,

उस नयन का पहला संसार हो,

तुम मेरा पहला प्यार हो...


अंतरा 3:

पहली छुअन की पहली सिहरन,

पहली दहलीज़ का पहला कदम,

पहली नज़र का पहला नशा,

पहली दास्तां का पहला सनम।

तेरी हँसी में बसा मेरा जहां,

तेरा नाम ही मेरी पहचान हो,

तुम मेरा पहला प्यार हो...


(मुखड़ा फिर से दोहराया जाए)

तुम मेरा पहला प्यार हो...

तुम मेरा पहला प्यार हो

 तुम मेरा पहला प्यार हो

सीने की पहली धड़कन

ज़िन्दगी की पहली सांस

इस दिल का पहला क़रार हो


तुम मेरा पहला प्यार हो

पहले भोर की पहली किरण

आंखों की पहली चमक

चांदनी रात का पहला इंतज़ार हो


तुम मेरे ख्वाबों की पहली उड़ान

सपनों की पहली मुस्कान

भीगी दुआओं का पहला असर

लबों पे सजी पहली पुकार हो


तुम मेरा पहला प्यार हो

टूटते तारों की पहली ख्वाहिश

पहली बारिश की नर्म छुअन

सावन की पहली फुहार हो


तुम मेरी पहली दबी हँसी

पहला अनकहा एहसास हो

रंगों भरी दुनिया में मेरा

सबसे पहला इज़हार हो


तुम मेरा पहला प्यार हो

पहली धुन के मीठे सुरों में

पहली रागिनी की तान हो

घाटियों में गूँजती पहली मल्हार हो


तुम मेरे मौसम की पहली बहार

पहली मोहब्बत का पहला इकरार

पहली सहर की पहली दुआ

मोहब्बत के नशे का पहला खुमार हो


तुम मेरा पहला प्यार हो

पहली छुअन की पहली सिहरन

पहली दहलीज़ का पहला कदम

पहली नज़र का पहला नशा

पहली मोहब्बत का पहला इसरार हो


तुम मेरा पहला प्यार हो...

Sunday, 27 April 2025

जब हम तुम मिले थे - Song

 Intro (संगीत से पहले — फुसफुसाते से स्वर में या बहुत नर्म सुर में)


"कभी-कभी, कुछ मुलाकातें...

यूँ ही बेवजह दिल के सबसे प्यारे कोने में घर बना लेती हैं।

ना कोई वादा होता है, ना कोई कसक...

बस एक मासूम सी ख़ुशबू छोड़ जाती हैं —

हमारी पहली मोहब्बत की तरह..."


इसके बाद धीमा संगीत उठता है और गीत शुरू होता है:



"जब हम तुम मिले थे"


(धीमी धुन पर)


जब हम तुम मिले थे,

छोटी-छोटी ख्वाहिशें थीं,

हवाओं में गुम होते अरमान थे,

बचपन सी मासूम फ़रमाइशें थीं।


चाँद को छूने की जिद थी,

बारिश में भीगने की ख्वाहिश,

तितली के पीछे भागते थे हम,

हँसी में बसती थी हर एक दुआ।


(धीमी लेकिन मुस्कुराती हुई धुन पर)


दिल की गलियों में,

चुपके से ख्वाब सजते थे,

तेरी एक झलक पे,

सदियों के सफर कटते थे।


ना कोई वादा, ना कसमें थीं,

बस आंखों में सपनों की बारिशें थीं,

छोटी छोटी बातों में खुशियाँ थीं,

तेरी एक मुस्कान में सारी कायनात थी।


(सॉफ्ट कोरस)


ओ मासूम प्यार के वो दिन,

ओ पहली धड़कन की वो रैन,

तू साथ था तो हर पल था चाँदनी,

तेरे बिना भी थी तेरी महक कहीं।


(ब्रिज — थोड़ा भावुक मोड़)


अब भी कभी जब पलट कर देखूँ,

तेरी हँसी कहीं हवाओं में बिखरती है,

छुप-छुप के दिल फिर से चाहता है,

वो पहली मोहब्बत फिर से जी लेना।


(धीरे-धीरे fade out)


जब हम तुम मिले थे...

छोटी-छोटी ख्वाहिशें थीं...

जब हम तुम मिले थे

 जब हम तुम मिले थे

छोटी छोटी ख्वाहिशें थीं

दिल में कितने अरमान थे

मासूम सी गुजारिशें थीं


जब हम तुम मिले थे

छोटी-छोटी ख्वाहिशें थीं,

तितलियों के पीछे भागती उम्मीदें थीं,

हवाओं में उड़ते सपने थे।


दिल में कितने अरमान थे,

तारे तोड़ लाने की जिद थी,

रंगीन कागज़ों पर लिखी छोटी-छोटी दुआएं थीं,

हर मुस्कान में एक नई दुनिया बसती थी।


मासूम सी गुजारिशें थीं,

हाथ थाम कर बस यूं ही चलने की,

भीगी-भीगी आँखों से चुपचाप सब कुछ कह देने की,

एक नज़्म बन जाने की ख्वाहिश थी,

जिसे सिर्फ हम दोनों ही समझ पाते।


जब हम तुम मिले थे

छोटी-छोटी ख्वाहिशें थीं,

तितलियों के पीछे भागती उम्मीदें थीं,

हवाओं में उड़ते सपने थे,

नन्हीं मुस्कानों में छुपी बड़ी-बड़ी बातें थीं।


दिल में कितने अरमान थे,

तारे तोड़ लाने की जिद थी,

बिना वजह हँसने की, बिना सोच रो पड़ने की आदत थी,

हर मुलाकात में ज़िन्दगी खोजने की चाहत थी।


मासूम सी गुजारिशें थीं,

साथ चलते हुए वक़्त को रोक लेने की,

छोटे-छोटे लम्हों में उम्र भर का प्यार ढूँढ लेने की,

एक नज़र में सारी बातें कह देने की,

और फिर उसी नज़र में खो जाने की।


अब जब पलट कर देखता हूँ,

वो खिलखिलाते दिन, वो बेपरवाह रातें,

सब कुछ किसी पुराने ख्वाब जैसा लगता है,

पर दिल जानता है —

पहली बार जो धड़कनें तेज़ हुई थीं,

वो धड़कनें अब भी कहीं न कहीं ज़िंदा हैं।

बस, मासूमियत की उन गलियों में...

जहाँ हम तुम पहली बार मिले थे

वफ़ा पे मेरे उनको यक़ीं नहीं था - 2

वफ़ा पे मेरे उनको यक़ीं भी नहीं था,

बिछड़ने का शायद उन्हें ग़म भी नहीं था।


निगाहें थीं शर्मीदा, लब थे खामोश,

सवालों का कोई भी जवाब ही नहीं था।


सदाएँ पुकारें थीं दिल से कई बार,

मगर उनकी राहों में मिरे नाम का दीया नहीं था।


टूटी थी जब दिल की तन्हा इमारत,

उसी वक़्त एहसास का कारवाँ भी नहीं था।


ख़्वाबों की बस्ती थी वीरान जबसे,

उमीदों का कोई कारवाँ भी नहीं था।


लबों पर तबस्सुम की सूरत थी ग़म की,

खुशी का वहाँ कोई निशाँ भी नहीं था।


जज़्बात थे लेकिन वो बे-रंग सारे,

अश्कों के सिवा कुछ वहाँ भी नहीं था।


हर मोड़ पे उसकी सदा ढूँढता था,

मगर लौट आने का वादा कहीं भी नहीं था।


छुपाए हुए थे जो दिल के फसाने,

कहने को अब कोई ज़ुबां भी नहीं था।


वफ़ा पे मेंरे उनको यक़ीं भी नहीं था,

कुछ भी नहीं था, बस यही दिल-ए-ग़मी था।

वफ़ा पे मेरे उनको यक़ीं नहीं था - 1

वफ़ा पे मेरे उनको यक़ीं नहीं था,

मिरे हाल-ए-दिल का कहीं भी असर नहीं था।


निगाहें झुकी थीं, लबों पे ख़ामुशी थी,

लबों से मगर कोई शिक़ायत नहीं थी।


सदाएँ दीं कितनी, सुनी भी नहीं थीं,

क़िस्मत में शायद बिछड़ने की लिखी थी।


मेरा सब्र टूटा, उम्मीद भी रुकी थी,

सांसों में बसी सिर्फ़ तन्हा नमी थी।


ख़्वाबों की बस्ती वीरान हो चली थी,

हर मुस्कान भी अब ग़मगीन हो चली थी।


वो जज़्बात मेरे अजनबी बन गए थे,

जो लफ़्ज़ थे अपने, बे-ज़ुबान बन गए थे।


हर मोड़ पे मैंने बस उनको पुकारा,

हर दर्द ने लेकिन मिरा दिल उजाड़ा।


छलके थे आँसू, मगर छुपा लिए थे,

टूटे हुए अरमान लबों पे सजा लिए थे।


अब रह गई है बस एक तन्हाई,

न शिकवा किसी से, न कोई रुसवाई।


वफ़ा पे मेरे उनको यक़ीं नहीं था,

कुछ भी नहीं था, बस यही दिल-ए-ग़मी था

वफ़ा पे मेरे उनको यकीं नहीं था

 वफ़ा पे मेरे

उनको यकीं नहीं था

कुछ भी नहीं था

बस यही दिल-ए-ग़मी था


निगाहें झुकी थीं

लबों पे ख़ामोशी थी

हर बात में बस

एक अधूरी सी कमी थी


सदाएँ दीं कितनी

सुनी भी नहीं थीं

क़िस्मत में शायद

जुदाई ही लिखी थी


मेरा सब्र टूटा

उम्मीद भी रुकी थी

साँसों में जैसे

सिर्फ़ तन्हा सी नमी थी


ख़्वाबों की बस्ती

वीरान हो चली थी

हर मुस्कान भी अब

ग़मगीन हो चली थी


वो जज़्बात मेरे

अजनबी बन गए थे

जो लफ़्ज़ थे अपने

बेज़ुबान बन गए थे


हर मोड़ पे मैंने

बस उनको पुकारा

हर दर्द ने लेकिन

बस मेरा दिल उजाड़ा


छलके थे आँसू

पर वो भी छुपा लिए

टूटे हुए अरमान

लबों पे सजा लिए


अब रह गई है

बस एक तन्हाई

न शिकवा किसी से

न कोई रुसवाई

Friday, 25 April 2025

तुमसे बिछड़ने का गम

 दिल में तुमसे बिछड़ने का गम था,

आँखों में कोई ख़्वाब अधूरा सा नम था।

हर लम्हा तेरी याद का साया रहा,

ज़िंदगी का हर मोड़ तन्हा सा कम था


हर बात में तेरा ही ज़िक्र आ गया,

लबों पे तेरा नाम बेमौसम आ गया।

तेरे बिना सब अधूरा सा लगता है,

जैसे कोई गीत बिना सरगम रह गया।


रातों की तन्हाई तुझसे बात करती है,

ख़ामोशी भी अब तेरी आवाज़ लगती है।

दिल ने कब चाहा था यूँ दूर हो जाना,

मगर किस्मत को शायद ये मंज़ूर था।


तेरे जाने के बाद सन्नाटा बोलता है,

हर कोना तेरी याद में रोता है।

जिस चाय में पहले मिठास थी तेरे नाम की,

अब वही चाय भी बेस्वाद सा होता है।


आईने से अब बात नहीं होती,

ख़ुशबू भी तेरे बिना महकती नहीं होती।

वो मौसम, वो शामें, सब ठहर गए हैं,

जैसे ज़िंदगी अब चलती ही नहीं होती।


ख़त जो रखे हैं तेरे नाम के,

अब राख बनकर उड़ते हैं शाम के।

उदासियाँ भी अब थक चुकी हैं,

तेरी खामोशी से डरने लगी हैं।

तेरे बाद

दिल में तो तुमसे बिछड़ने का ग़म था,

हर सांस में तेरा एहसास कम था।


तेरे जाने के बाद जो सूना हुआ,

हर लफ़्ज़ मेरा अब बेज़रर सा नम था।


तन्हाइयों ने घर बना लिया दिल में,

अब रौशनी से भी कुछ डर सा रहता है।


तारों से बातें होती हैं रातों में,

तेरे बिना चाँद भी बेअसर सा लगता है।


वो जो हँसी तेरे नाम पर आती थी,

अब तो वो भी आह बनकर बहती है।


तेरे ख़त, तेरी तस्वीरें, वो गाने,

सब एक टूटे हुए वक़्त की परछाइयाँ हैं।


अब कोई आकर पूछता नहीं हाल मेरा,

जैसे मैं भी किसी गुज़री कहानी का हिस्सा हूँ।

एक तुम्हारे आने से - 3

 एक तुम्हारे आने से कैसे सब कुछ खुशनुमा हो गया,

सूनी राहों में जैसे कोई चिराग़ जल गया।


थी जो तन्हा सी हर घड़ी, अब मुस्कुराने लगी,

तेरी बातों में जैसे कोई जादू सा बह गया।


छुपा था जो दिल में अरसे से, अब लबों पे आ गया,

तेरे प्यार में हर ग़म भी जैसे ख़ुशगवार हो गया।


तेरी हँसी की रौशनी से, दिल का अंधेरा मिट गया,

तेरी नजरों के तसव्वुर में, हर मंज़र नया लग गया।


जो कल तक अधूरी थीं दुआएँ, अब मुकम्मल हो गईं,

तेरे साथ चलकर ज़िंदगी का मतलब मिल गया।


हर पल तेरे ख्याल में डूबा रहता है ये दिल,

तू जो मिला है तो जैसे खुदा भी मिल गया।

एक तुम्हारे आने से - 2

 एक तुम्हारे आने से कैसे सब कुछ खुशनुमा हो गया,

सूनी राहों में जैसे कोई चिराग़ जल गया।


तेरी हँसी की रौशनी से, दिल का अंधेरा मिट गया,

तेरी नजरों के तसव्वुर में, हर मंज़र नया लग गया।


थी जो तन्हा सी हर घड़ी, अब मुस्कुराने लगी,

तेरी बातों में जैसे कोई जादू सा बह गया।


जो कल तक अधूरी थीं दुआएँ, अब मुकम्मल हो गईं,

तेरे साथ चलकर ज़िंदगी का मतलब मिल गया।


हर पल तेरे ख्याल में डूबा रहता है ये दिल,

तू जो मिला है तो जैसे खुदा भी मिल गया।

एक तुम्हारे आने से -1

 एक तुम्हारे आने से मौसमों में नमी सी छा गई,

दिल की वीरान वादियों में नर्म सी हवा चल गई।


तेरी हँसी की शोखियाँ हर साज को छूने लगीं,

तेरे लबों की खामुशी भी कुछ कह गई, कुछ सुन गई।


पलकों पे जैसे ख्वाब कोई पहली बार रुका हो,

तेरी नजर की उस झलक से रूह तक महक गई।


सदियों से जो तन्हा थी वो धड़कनें बोलने लगीं,

तेरे करीब आके जैसे ज़िंदगी बहक गई।


तेरा नाम लबों पे आए तो धड़कनें धीमे चलें,

तू जो मिला तो हर दुआ अपनी जगह पे थम गई।

एक तुम्हारे आने से - गीत

 गीत: एक तुम्हारे आने से (रूमानी अंदाज़, सॉफ्ट मेलोडी)


[Intro – धीमे म्यूज़िक पर बोल]

एक तुम्हारे आने से…

जैसे सब कुछ बदल सा गया…

(सुन सको तो सुनो दिल की बात…)


[Verse 1]

एक तुम्हारे आने से,

मौसमों में नमी सी छा गई,

दिल की वीरान वादियों में,

नर्म सी हवा चल गई…


[Hook – थोड़ा ऊँचा सुर]

तेरे लबों की खामुशी में,

इक मोहब्बत की सदा है,

तेरी हर इक झलक में जैसे,

मेरे ख्वाबों की दुआ है…


[Verse 2]

पलकों पे जो रुके ख्वाब थे,

तेरी नजरों से बहक गए,

तेरा नाम जो लिया कभी,

हम खुद से ही महक गए…


[Bridge – धीमे सुर में]

तू मिला तो जैसे हर पल,

रुक गया है इस जहाँ में…

तेरे बिना अधूरी थी,

हर खुशी मेरी दुआ में…


[Hook Repeat – और गहराई से]

तेरे लबों की खामुशी में,

इक मोहब्बत की सदा है…

तेरी हर इक झलक में जैसे,

मेरे ख्वाबों की दुआ है

रूहों के सफर के मेरे हमसफर - 1

 रूहों के सफर के मेरे हमसफर,

तेरे नूर से रोशन है हर एक सफर।

तू ही है मंज़िल, तू ही है राह,

तेरे ज़िक्र में मिलती है मुझको पनाह।


इबादत सी लगती है तेरी सदा,

तेरे नाम में छुपी है मेरी दुआ।

मैं फना हो जाऊँ तेरे असर में,

जैसे क़लाम डूबे रब के जिक्र में।


न मैं रहा, न मेरा रहा कुछ भी,

जब से तू आया दिल के शहर में

बस अब तू है और तेरा जिक्र है

तेरे सुकून की बस अब फिक्र है


रूहों के सफर के मेरे हमसफर,

तेरे संग हर लम्हा लगे मुकम्मल सफर।

तेरी साँसों से चलती है मेरी हवा,

तू जो न हो तो लगे सब कुछ फिज़ा।


तेरे बिना हर ख्वाब अधूरा लगे,

दिल ये मेरा तन्हा और सूना लगे।

तू मिले तो मिल जाए हर एक जवाब,

तेरे प्यार में ही तो बसी है ये किताब।

रूहों के सफर के मेरे हमसफर

 रूहों के सफर के मेरे हमसफर,

तेरे बिना अधूरी लगे ये डगर।

तुझसे ही है धड़कन और सांसे मेरी

तू ही मेरा सुकून, तू ही मेरा जहां


तेरी हँसी में छुपा है सवेरा,

तेरे बिना लगे सब अधूरा।

तेरे ख्यालों में बीते ये शामें,

तेरे प्यार में ही हैं मेरे मुकाम।


हर पल तू पास हो जैसे हवा,

तेरे बिन लगता है सब कुछ जुदा।


तेरी निगाहों में बसी है कहानी,

जिसमें है मेरी भी एक दीवानी।

तेरा नाम लूँ तो लगे इबादत,

तू ही है मेरी हर एक आदत।


तेरे साथ चलूं तो लगे ये जहां,

जैसे मोहब्बत बनी मेरी ज़ुबां।

ओ हसीं हमसफ़र

 ज़िंदगी के ओ हसीं हमसफ़र,

तेरी धड़कनों में बसी तकदीर हमारी

तेरे लबों की मुस्कान जैसे बहार मुस्कुराई

खिल उठे सारे जज़्बात, महक उठे फिज़ाएं सारी


तेरी आँखों की गहराई में खो जाऊँ पल-पल,

मेरे ख़्वाब बुनते मेरी ख्वाहिशें हर पल

तेरे संग बीते लम्हों की ये मीठी रवानी,

लिख दे तेरे मेरे इश्क़ की अनकही कहानी।


ज़िंदगी के ओ हसीं हमसफर,

तेरे बिना अधूरी थी ये डगर।

तेरी हँसी में है जादू सा कुछ,

जो हर ग़म को कर दे बेअसर।


तेरे साथ हर लम्हा लगे जैसे ख्वाब,

तेरे बिना सब कुछ लगे बेहिसाब।

तू जो मिले तो मिल जाए जहां,

तेरे प्यार में बस जाए मेरी जान।

जब तुम नहीं थे - 2

 जब तुम नहीं थे,

सपनों के मंज़र में वीरानियां थीं,

हर धड़कन में छिपे कितने ग़म थे,

इन यादों के सागर में बहते आंसू थे,      दिल के कोने में बस तन्हाइयां थीं।


जब तुम नहीं थे,

सुबह की रौनक में भी वीरानियां थीं,

खामोश लम्हों में जमा मेरे ग़म थे,

उन भूले-बिसरे किस्सों के आंसू थे,

एक खोए हुए कल की तन्हाइयां थीं।


जब तुम नहीं थे,

हर नज़र में वीरानियां थीं,

अनकहे दर्द में डूबे सारे ग़म थे,

बीते लम्हों के गवाह मेरे आंसू थे,

गुज़रे कल की सुनसान तन्हाइयां थीं।


जब तुम नहीं थे,

आशाओं की राह में भी वीरानियां थीं,

समय के पहिये पर दर्द भरे ग़म थे,

हर धुंधली याद में संजोए सूखे आंसू थे,

और मेरी तन्हा राहों में बस तन्हाइयां थीं।

जब तुम नहीं थे - 1

 जब तुम नहीं थे,

हर साँस में बस वीरानियां थीं।

लब खामोश, नज़रें नम थीं,

बिखरे लम्हों में चुभते ग़म थे,

और यादों की धुंध में तन्हाइयां थीं।


जब तुम नहीं थे,

दिल के आँगन में वीरानियां थीं।

हर शाम बुझी बुझी सी थी,              

आंसुओं में डूबी कोई कहानी थी, 

मेरी चुप्पियों में सिसकती तन्हाइयां थीं।


जब तुम नहीं थे,

हर लफ्ज़ में गूँजती वीरानियां थीं।

तेरे बिना सब अधूरा सा था,

हर ख़ुशी के पीछे दबे ग़म थे,

और रातों में जागती तन्हाइयां थीं।


जब तुम नहीं थे,

हर राह पर बिछी वीरानियां थीं।

मुझे ढूंढते वो दिन चुपचाप थे,

हर कोना तेरे बिना खाली सा था,

और उन खामोश पलों में तन्हाइयां थीं।

जब तुम नहीं थे

 जब तुम नहीं थे,

हर साँस में सूनी वीरानियां थीं।

लब खामोश थे, दिल बेसबर था,

हर मोड़ पे अधूरी सी दास्तानियां थीं,

और उन दास्तानों में बसी तन्हाइयां थीं।


जब तुम नहीं थे,

हर सुबह किसी साया सी लगती थी।

वो ख्वाब जो आँखों में जिंदा थे,

अब सिर्फ़ लम्हों की राख में जलती थीं,

और राख में दबे कुछ तन्हा ग़म थे।


जब तुम नहीं थे,

हर मौसम पे दर्द उदासी सी खड़ी थी।

जो आवाज़ें साथ थीं कल तक,

अब सिर्फ सन्नाटों में गुमशुदा सी घड़ी थी,

जहाँ हर धड़कन के पीछे तन्हाइयां बड़ी थीं।


जब तुम नहीं थे,

हर राह पे बिछी वीरानियां थीं।

तेरे बिना ये ज़िंदगी ठहरी ठहरी थी,

हर खुशी के नीचे कुछ टूटे हुए ख़्वाब थे,

और उन ख़्वाबों में लिपटी तन्हाइयां थीं।

रुत मिलन की

 इतने दिनों में अब आई है

रुत ये मिलन की,

तेरे मेरे दरमियाँ फिर से

बात चल पड़ी है दिल की।


हवा भी तेरे नाम की

कुछ गीत गुनगुनाने लगी है,

छू के तुझे जब गुज़री है ये

मुझे तेरी खुशबू सी आने लगी है


इन खामोशियों में अब

तेरी आवाज़ सुनाई देती है,

हर शाम मेरी तुझसे

थोड़ी सी और जुड़ती जाती है


तेरी मुस्कान में जैसे

छुपा हो सारा जहां मेरा,

हर पल तुझमें ढूंढूं मैं

सपनों का कारवां मेरा।


चांदनी भी अब लगती है

तेरे रूप की परछाई सी,

और रातें बन गई हैं

तेरे नाम की शहनाई सी।


धड़कनों का सिलसिला

अब तुझसे ही शुरू होता है,

मिलन की इस रुत में

तेरे इश्क पे गुरूर होता है

तुमसे मिल कर

 तुमसे मिल कर होश खो बैठा हूँ,

खुद से, खुद को ही खो बैठा हूँ।

तेरी आंखों में जो गहरा सागर है,

उसी में डूब कर कहीं खो बैठा हूँ।


तेरी सांसों की वो मीठी महक,

मुझ पर अब तक छाई हुई है।

सालों की जो दूरी थी हमारी,

तेरे एक छूने से मिटाई हुई है।


तू सामने आई तो जैसे,

वक़्त भी ठहर गया एक पल को।

तेरे बिना अधूरा था मैं,

अब पूरा किया है तुमने इस दिल को।


हर लम्हा तुझसे मिलने की दुआ करता रहा,

अब तुझको पाकर, खुदा को पा बैठा हूँ।

तुमसे मिल कर होश खो बैठा हूँ,

खुद से, खुद को ही खो बैठा हूँ।

तुझको ख़ुदा जानकर - 1

 तुझको ख़ुदा जानकर,

सजदे में जो सर झुकाया,

ज़माने ने मुझको

काफ़िर बताया।


मैं तो इश्क़ में

हर हद से गुजर गया,

तेरी दीद की आस में

मैं रब से भी लड़ गया


तेरे नाम की खुशबू

मेरी सांसों में समाई थी,

हर साँस में बस

तेरा ही नाम आया।


लोग कहते रहे,

ये इश्क़ तो फ़ना कर देगा,

मैं मुस्कुराया—कहा,

इसी फ़ना में तो मैंने मेरा ख़ुदा पाया


तेरे दर पर जो बैठा,

तो जन्नत सी लगी हर शाम,

ज़माना कितना भी रुसवा करे,

ये दिल लेता है बस तेरा नाम


तुझको ख़ुदा जानकर,

सजदे में जो सर झुकाया,

ज़माने ने मुझको

काफ़िर बताया,

पर मुझे तो इश्क़ में

बस तेरा ही रस्म-ओ-दर पाया।

तुझको ख़ुदा जानकर

 तुझको ख़ुदा जानकर, सजदे में जो सर झुकाया,

ज़माने ने मुझको काफ़िर क्यों बतलाया


तेरी निगाहों में था, नूर-ए-हक़ीक़त जैसा,

मैंने उसी रोशनी में, अपना वजूद मिटाया।


लबों पे तेरा ही नाम, दिल में तेरा ही साया,

हर एक दुआ में मैंने बस तुझको ही पाया


ये दिल कहीं भी सुकून न पाया 

तेरे दर पे आके, रूह ने चैन पाया।


तू जो मिला तो जैसे, मिल गई मुझे ज़िंदगी,

वरना हर सवाल ने, मुझको बहुत तड़पाया।


इश्क़ तेरा अब मेरे, सज्दों का सिला ठहरा,

वरना मैंने तो खुद को, हर मोड़ पे गंवाया।


तेरे ख़याल में डूबा, हर पल खुदा से जुड़ता,

तू पास ना था पर ये दिल तुझसे ही जुड़ता।


मैंने जुनूँ में तेरे, हर रंग को सच माना,

झूठा था ये ज़माना, मैंने तेरा ही हक़ माना।


जो भी सज़ा मिली हो, वो भी करम लगी है,

तेरे गुनाह में भी, मुझको रहम लगी है।


राख हुई हर चाहत, फिर भी तुझे पुकारा,

हर दर्द ने मुझे बस, तेरा ही नाम दे डाला।


इश्क़ में जो सलीबें, खुद पे उठाई मैंने,

वो भी तुझे लगा कर, सजदा निभाई मैंने।


ये दिल कह रहा है, हर दर्द है मेरा इनाम,

तेरे ग़म ने भी दी है तेरे मिलने का पैग़ाम

मैं और मेरी तन्हाई

 रात की चुप में डूबा हूँ मैं,

हर सवेरा अधूरा सा लगे।

आँखों में बसी जो तस्वीर थी,

अब धुँधली धुँधली धुंआ सा लगे।


जिसे चाहा था सांसों से भी ज़्यादा,

वो ख्वाबों से भी फिसल गया।

दिल की दीवारों पे लिखा नाम,

वक़्त की बारिश में धुल गया।


अब तन्हाई से बातें होती हैं,

भीड़ भी अब सुनसान लगे।

मुस्कान तो चेहरा पहन लेता है,

पर रूह बहुत वीरान लगे।


कभी सोचा था साथ चलेंगे हम,

अब हर मोड़ पर तन्हा मिलता हूँ।

जिसे समझा था अपनी दुनिया,

उसी से दूर अब पलता हूँ।

तू और ये दिल

 तेरे बदन को छूकर जो हवा आती है,

मेरी सांसों को महका जाती है।

जैसे फूलों की खुशबू में तू बसी हो,

हर फूल तेरा ही पैग़ाम लाती है


तेरे करीब होने का एहसास यूँ होता है,

जैसे हर पल कोई मेरा नाम लेता है।

तेरी हँसी की मिठास घुल जाए फ़िज़ाँ में,

जैसे चाँदनी रात उतर आए आसमाँ में 


तेरी पलकों की छाँव में ये दिल सो जाए,

तेरे ख्वाबों की रौशनी से मेरी हर रात रोशन हो जाए।

तेरे बिना भी तू हर जगह साथ लगे,

जैसे धड़कनों में बसी तेरी कोई बात लगे।


हवा जब तेरे आंचल से खेलती है,

तेरी बाहों के घेरे नर्म जेल सी लगती है।

तेरा नाम इन लबों पे खुद-ब-खुद आ जाता है,

जैसे कोई दुआ दिल से निकल कर जुबां  पे आ जाता है।


ये जो फिज़ा है, ये जो समां है,

तेरे प्यार का ही हर इक बयां है।

मेरी दुनिया में तू एक गीत बनकर छाया है,

तेरे छूने से मेरा हर इक लम्हा मुस्कुराया है।

तेरी यादें

 मैं तेरा नाम किसको बताऊं,

मैं अपना हाल किसको सुनाऊं,

तेरी यादों की सूनी गलियों से

अब तुझको मैं कैसे बुलाऊं


तन्हा सी इन रातों की मशाल मैं,

तेरे बिना कैसे जलाऊं;

खामोशी में तेरी हँसी की गूँज,

आँखों से कैसे बहाऊं।


उस मोड़ पर ठहरा मेरा दिल,

जहाँ तू मेरे साथ नहीं;

उस राह पर चलने को 

तुझको मैं कैसे मनाऊं 


चाँदनी से गीली आँखों में

तेरा अक्स ये दिल ढूँढता है

तेरी तस्वीर से मैं अब

इस दिल को कैसे बहलाऊं


कैसे और किस से कहूं

कि तेरे ज़िक्र से जिंदा हूँ मैं

ज़िंदगी के वीराने में अब 

तुझको कहां से ढूंढ कर लाऊं

वो जब खफा थे

 कल जब वो मुझसे ख़फ़ा था,

मेरा रूह मुझसे जुदा था —

तड़पने के सिवा और कोई रास्ता नहीं था,

क्योंकि मेरे पास मेरा ख़ुदा नहीं था।


आज भी उसकी याद

हर लम्हा मुझको तड़पाती है 

उसकी ख़ामोशी की आंच 

मेरे जज़्बात को रुलाती है


वो रूठी होंठों पर दबा लेती थी मुस्कान,

उनके पीछे कहीं खो जाते थे मेरे अरमान

वो मुस्कान अब मेरी सूनी रातों का सहारा है

जिसके उजालों ने मेरी तन्हाइयों को संवारा है


उसके बिना हर ख़ुशी नामुक़म्मल सी,

हर सपना अधूरा, हर बात बे अमल सी

ये वफ़ा का दर्द, ये फासलों का खेल,

कैसे होगा इन धड़कनों का मेल


जब वो लौटेगी—कहीं वो ख़बर भी तो मिले—

मेरे सूने दिल में छाया सन्नाटा बा जुबां होकर खिले

उम्मीद की इस लौ कभी बुझने न दूंगा

क्योंकि प्यार किया है तो उसको कभी खोने न दूंगा