Monday 31 December 2012

कुछ ख्याल दिल से .....


करके यकीं उस बेवफा का हम उससे दिल लगा बैठे 
जाने क्यूँ उसकी बातों में आकर अपना सुकूं गंवा बैठे 

शायद हमारा मिलना तय किया था उस खुदा ने 
तभी तुम फुल बनकर मेरी गुलशन में खिले हो 

बहुत ढूँढा हमने जहां में न जाने कहाँ कहाँ 
मेरा महबूब छुपा बैठा था मेरे दिल में यहाँ 

मेरी रूह में उतर गई है तू रूह बन कर 
मेरी हर सोच में तू है जिंदगी बन कर 

मुझे अपने ख्यालों में ओढ़ लेना तुम चुनरी समझ कर 
जिंदगी भर मैं उड़ता रहूँगा वहीँ उन फूलों की डाल पर 

आप दिल में बैठे हैं छुपकर नहीं होता मालूम 
'गर अपने दिल में ना झांका होता मैंने ज़ालिम 

हमने तो अपना आशियाँ तुम्हारे दिल में बनाया है 
अब तुम जहां जहां होगी मेरा आशियाँ साथ होगा 

मेहरबानियाँ भी उनकी बड़ी भारी रहीं इस दिल पर 
न शुक्रिया कह कर अदा कर पाये न मोहब्बत कर 

मत कहो शुक्रिया कि मैं दब जाता हूँ इन एहसानों तले 
बस ऐसे ही खिली रहो फुल बन जिसमे बस प्यार पले 

कभी ऐसा हो कि किसी सफर में तू मेरा हमसफ़र बने 
वो सफर कभी भी खत्म ना हो हम इक ऐसी डगर चुने 

उम्मीदों से ज्यादा दिया है मुझे उस खुदा ने 
मैंने तो प्यार माँगा था उसने तुम्हें सौंप दिया 

तुम मेरी किस्मत बन कर मेरी जिंदगी में आई हो 
अब मैं क्या कहूँ तुम दिल-ओ-दिमाग पर छाई हो 

मैं जो तुमसे कह रहा हूँ वो बस मेरी शायरी नहीं है 
तुम हो तुम हो और बस तुम हो और कुछ नहीं है 

वो अहद-ए-वफ़ा की कसमें खाकर मेरे ख़्वाबों से भी दूर रहे 
पर हम उनको कैसे भुलाते अपनी आदत से जो मजबूर रहे 

तस्सवुर में हम उनसे अक्सर मिलते हैं आजकल 
क्योंकि सामने मेरे कब से उन्होंने आना छोड़ दिया 

उनकी मुस्कराहट से हमें यह अहसास होता है 
वो कहीं भी रहें पर उनका दिल मेरे पास होता है    

हसरतों में उनके ना जाने कब से बैठा हूँ तस्वीर बनकर 
कब वो घड़ी आएगी जब आयेंगे वो मेरी तकदीर बनकर     

अपनी रूह से इक ताजमहल बनाऊंगा तुम्हारे लिये सनम 
वहाँ तुम होगी और होंगी मेरे प्यार की कितनी ही तरन्नुम 

ऐसे बेल की तरह लिपटे हैं वो मेरे मन के तने से 
तभी कहूँ मैं आखिर क्यूँ लगते हैं वो मेरे अपने से 

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