यूँ तेरा आना
नज़रें झुकाना
और दिल पे छा जाना
तुम सावन
नेह बरसा
भींगे हम
भोर का सूरज
लाली उसकी
सिन्दूर तुम्हारा
तपती धूप
तुम्हारा साया
मन हरसाया
मेरा वचन
तुम्हारा विश्वास
हमारा संसार
तेरा चेहरा
तेरी मुस्कराहट
मेरी खुशियों की आहट
तुम्हारी मुस्कान
खुशियों की बरकत
मैं धनवान
प्रेम ग्रन्थ
जब भी लिखा गया
मैं प्रेमी था और तुम प्रेयसी
सदियों सदियों से
जी चाहे ...
हर घड़ी ...
तुझे निहारूं ...
तुझे दुलारुं ...
जीवन अपना ...
तुझ पर वारूँ
हम चले
तुम मिले
मंजिल मिली
जाने क्यूँ लगता है
अपना कोई रूठा है
जिंदगी जैसे
सपना कोई झूठा है
ये बंधन
तुझसे नेह का है
मेरा
तुझसे स्नेह का है
पाने की खुशी
खोने का डर
क्यूँ जीवन भर ?
पाकर
बस इक स्पर्श तुम्हारा
यह मन मन्दिर बन जाता
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