Sunday 2 December 2012

तेरा मन


तेरा मन

मेरा दर्पण

मुझको " मैं " दिखलाये

मेरे थोड़े से गुण का

गान मुखर हो तू गाये

तेरा मन

मेरा दर्पण

मुझको " मैं " दिखलाये

मेरे सारे दुर्गुण अवगुण

तुने भले लिए छुपाये

तेरा मन

मेरा दर्पण

मुझको " मैं " दिखलाये

मैं क्यूँ ढूढूँ यहाँ वहाँ

जब सब तुझमें नज़र आये

तेरा मन

मेरा दर्पण

मुझको " मैं " दिखलाये



1 comment:

  1. wah !! bahut khoob darpan hai aapka Prashant Ji....badhai ho !!

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