तेरा मन
मेरा दर्पण
मुझको " मैं " दिखलाये
मेरे थोड़े से गुण का
गान मुखर हो तू गाये
तेरा मन
मेरा दर्पण
मुझको " मैं " दिखलाये
मेरे सारे दुर्गुण अवगुण
तुने भले लिए छुपाये
तेरा मन
मेरा दर्पण
मुझको " मैं " दिखलाये
मैं क्यूँ ढूढूँ यहाँ वहाँ
जब सब तुझमें नज़र आये
तेरा मन
मेरा दर्पण
मुझको " मैं " दिखलाये
wah !! bahut khoob darpan hai aapka Prashant Ji....badhai ho !!
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