दिल की लगी आकर ऐसी लगी दिल पर
ना तो दिल रहा मेरा ना वो रहे दिलवर
वो यूँ मुस्कुरा कर मेरी जान लिए जाते हैं
हम उनकी इस अदा पर बस मुस्कुरा कर रह जाते हैं
तुम जब मुस्कुराती हो गुलशन का हर गुल खिल जाता है
तेरे आगोश में आकर जन्नत का हर नज़ारा मिल जाता है
तुमसे दूर होकर हम जिंदगी से दूर हो जायेंगे
तुम नहीं होगे तो हम रोने को मजबूर हो जायेंगे
सोचा था कभी उनसे मिल कर इस दिल की कहूँगा
जब उन्हें फुरसत ही नहीं कभी तो क्या खाक कहूँगा
तोड़ कर व्यूह हर बाधाओं का जो निकल आये
उससे नियति भी घबराती है कोई पहल से पहले
मेरी हसरतों से निकल कर वो बड़े खुश नज़र आते हैं
उनकी इन्हीं अदाओं पर हम आज भी मर मर जाते हैं
तुम्हारी हर आह मेरे बदन पर शूल बन बन कर गिरती है
कभी मेरी इन तकलीफों से खुद को वाबस्ता करके देखो
वो किस कदर हैं बेखबर अपने हुस्न से ए खुदा
उनके हुस्न ने कैसे ढाए हैं कहर कोई उन्हें तो बता
जिन्हें गिनते रहे तुम वो अश्क नहीं थे तेरी आँखों के
मैं बूँद बन बन कर बह रहा था यादों की तेरी आँखों से
तम से जीवन के
जब भी मन घबराया
दीप जल उठे तेरे नैनों के
खुशियों का उजियारा छाया
देख कर उनको मेरे मन में ये ख्याल आया
उनको बनाकर खुदा अपना हुनर भूल आया
उनकी इक मुस्कराहट पर अपनी जान निसार दूं
'गर वो कहें उनके दर पर अपनी जिंदगी गुज़ार दूं
दिल में जैसे धड़कन होता है
मेरे दिल में वैसे तुम होती हो
इंतज़ार करता हूँ उस दिलबर का
जिसे खबर नहीं मेरी मोहब्बत का
देखता हूँ जब भी तुम्हें इन तस्वीरों में यूँ मुस्कुराते हुए
बस देखता ही रह जाता हूँ तुम्हें सब से नज़रें चुराते हुए
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