Monday 31 December 2012

उदासी


कल रात
चाँद
कुछ थका थका सा था
चांदनी भी मद्धम थी
आज
भोर का सूरज भी
बादलों से
आँख मिचौली कर रहा है
ना जाने क्यूँ
निकलने से डर रहा है
शायद
धरती की गन्दगी
देखी नहीं जा रही है
इसलिए
धरती से आँखें
चुराई जा रही है

No comments:

Post a Comment