ये हरसिंगार यूँ ही करते रहें तेरा श्रृंगार
तू और तेरा रूप सजे इनसे यूँ ही हर बार
कैसे गुनाहों को राज़ी हुआ तेरा दिल
ये तो अपनी पाकीज़गी की दुहाई देता था
दिल की दिल में ही रह जाती तो अच्छा था
ये ऑंखें ही दिल की कह जातीं तो अच्छा था
अब तो वो करते हैं इंतज़ार हमारे ज़नाजे का
हमारे दर्द से उनके आँखों में आंसू नहीं आते
उसकी मुस्कराहट ने तुमसे जो सवाल किये थे
तुमने अपनी मोहब्बत से उनके जवाब दिए थे
इस जहाँ की दूरियों से ना घबराओ तुम
आँखों के रस्ते दिल में उतर जाओ तुम
कौन कमबख्त छोड़ कर जाएगा ऐसे हमसफ़र को
जो हर राह की मुश्किलों को हंस के आसां कर दे
चाहना किसी को हमारे बस में तो किया उसने
पर मिलाना उस से नियति पर छोड़ दिया उसने
चाहतों का हमारे उन्होंने हमेशा मजाक उड़ाया है
फिर भी उनको चाहने में हमें बड़ा मज़ा आया है
हम भी तो अपनी ईद को तरस गए जालिम
हमारा चाँद किसी और की ईद मनवाता रहा
तुमने यूँ नज़र उठा कर देखा मुझे
मैं नशे में डूबा तो याद आया तुझे
कि आँखें हैं तेरी मय के पैमाने
छलक जाते हैं जब देखें मुझे
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