सिसक रही है
कोई मजबूरी
किसी अनजाने गलियारे में
कभी रोशन थी
उसकी भी दुनिया
महफ़िल में चौबारे में
लूट कर
रौशनी उसकी किसी ने
धकेला उसे अंधियारे में
कैसे कोई जतन करे
कि फिर वह
लौट आये उजियारे में
रोशन हो फिर
उसकी महफ़िल
गूंज उठे
खुशियाँ उसके चौबारे में
आओ सब मिलकर
दीप जलाएं
उसके अँधेरे गलियारे में
रोशन हो फिर
उसकी दुनिया
और लौटे वो उजियारे में
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