Friday 14 December 2012

मेरी नियति


मेरी नियति

मुझे

तुम्हारे पास लेकर आई है

जिंदगी मेरी

तुम से मिलकर ही

जीवन पाई है

जो नहीं मिलता

मैं तुमसे

जिंदगी मेरी

अधूरी रह जाती

कमी जीवन की

कभी पूरी नहीं हो पाती

पूर्णता तुमसे जो पाई है

मेरी दुनिया उसी में समाई है

बस यूँ ही हर जनम

मेरी कमी पूरी करती रहना

तुम मेरी हो

बस मेरी ही बन कर रहना

1 comment:

  1. बेहतरीन शुकराना अपनी प्रेयसी का !!

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