Thursday 8 November 2012

तेरा अल्हड़ यौवन

जब कभी मेरे दोनों नयन

संग मिले मेरा आकुल मन

दोनों मिल कर कोई जतन

अपलक निहारे तेरा यौवन


सजन अल्हड़ चंचल चितवन

तुझे देख उद्वेलित हो मेरा मन

मद रस पी पी तेरा यौवन

भीग चांदनी बने चंद्र बदन


तेरे यौवन में है कितना तपन

तुझे छू कर बहे जो सर्द पवन

लगे कण कण में उसके अगन

उसके छूते जले मेरा तन मन


कितना मादक है तेरा यौवन

खुशबू फैले तेरी चमन चमन

पाकर मधुकर तुझसे अचमन

झूमे मदमस्त मधुबन मधुबन


रूप ऐसा धरा तेरा यौवन

लगे तेरी काया कंचन कंचन

तू रहे अपनी धुन में मगन

तुझे देख खोंये सब चैन अमन


देख तेरा यह अल्हड़ यौवन

बने मेरे कितने ही दुश्मन

जो देखे तुझे भर भर नयन

उन्हें देख जले मेरा तन मन



अब नहीं होता मुझसे दमन

मेरे अरमानों का मेरे सजन

कुछ कर तू अब ऐसा जतन

हो तृप्त मेरा उद्वेलित मन





4 comments:

  1. बहुत सुंदर शब्द-संयोजन के साथ प्रेमी मन के कोमल भावों की अद्वितीय अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ

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  2. बहुत सुन्दर मन के भाव ...बहुत खूब

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