मैं
अतीत की परछाइयों में
उसका चेहरा ढूँढता हूँ
जब कभी
उसकी मुस्कराहट
नाच जाती है
मेरी नज़रों के सामने
हुस्न और इश्क की दुनिया से दूर
चमकता था उसकी आँखों में नूर
चेहरे को उसके जैसे तराशा हो किसी ने
बड़ी फुरसत में बैठ कर
वह चाँद का टुकड़ा था
या
फिर आसमां से आई थी
कोई अप्सरा उतर कर
उसके चेहरे में ढूँढते थे सब
हुस्न मगर
हुस्न तो छुपा बैठा था
उसके दिल के भीतर
वो पलकें उठाती तो
सवेरा होता
सांझ उसके पलकों के
झुकने से आती थी
रात के दामन पर
जुगनुओं सा
चमकता था
उसका नूरानी चेहरा
रात भी मद में डूब जाती थी
पहन कर उसके
हुस्न का सेहरा
वह इंसान थी या
चाँद का अक्श
किसी झील में ठहरा
मैं आज भी यही सोचता हूँ
जब भी उसको याद करता हूँ
कि वह चेहरा था
या फिर
मेरी यादों
कोई सिलसिला
अतीत की परछाइयों में
उसका चेहरा ढूँढता हूँ
जब कभी
उसकी मुस्कराहट
नाच जाती है
मेरी नज़रों के सामने
हुस्न और इश्क की दुनिया से दूर
चमकता था उसकी आँखों में नूर
चेहरे को उसके जैसे तराशा हो किसी ने
बड़ी फुरसत में बैठ कर
वह चाँद का टुकड़ा था
या
फिर आसमां से आई थी
कोई अप्सरा उतर कर
उसके चेहरे में ढूँढते थे सब
हुस्न मगर
हुस्न तो छुपा बैठा था
उसके दिल के भीतर
वो पलकें उठाती तो
सवेरा होता
सांझ उसके पलकों के
झुकने से आती थी
रात के दामन पर
जुगनुओं सा
चमकता था
उसका नूरानी चेहरा
रात भी मद में डूब जाती थी
पहन कर उसके
हुस्न का सेहरा
वह इंसान थी या
चाँद का अक्श
किसी झील में ठहरा
मैं आज भी यही सोचता हूँ
जब भी उसको याद करता हूँ
कि वह चेहरा था
या फिर
मेरी यादों
कोई सिलसिला
No comments:
Post a Comment