Tuesday 27 November 2012

विरासत

बुजुर्गों से अपने

पाई है मैंने

विरासत में

कई अमूल्य सौगातें

कुछ उलझे हुए सवाल

कुछ सुलझी हुई बातें

कुछ कठिनाइयों से ताल मेल

कुछ समाधान से मुलाकातें

कुछ जेठ से तपते दिन

कुछ शरद सी शीतल रातें

कुछ धैर्य में लिपटे पल

कुछ अनजानी आघातें

कुछ दर्द भरी घड़ियाँ

कुछ खुशियों की बरसातें

कुछ मीठे मीठे सपने

कुछ नर्म नर्म जज़बातें

कहाँ जी पाते हम यह जिन्दगी

जो न होतीं ये सौगातें

संजोया है इनको

मन के आँगन में

लगा के बिरवा इनका

सम्हाल कर तिनका तिनका

कि

फले फूले ये वहाँ

तब तक

सौंप न दूं ये विरासत

अपनी अगली पीढ़ी को

जब तक


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