जिन हाथों की उँगलियाँ
पकड़ कर
हम
अपनी राह
तलाशते थे कभी
आज
वही हाथ
अपनी उँगलियाँ
मेरी तरफ बढ़ा रही हैं
अपनी राह तलाशने को
समय के चक्र में
उँगलियों की भूमिका
कब बदल गई
पता ही नहीं चला
अभी तक
उन्हीं उँगलियों के सहारे
मैं अपनी राहें तलाशता था
आज
जब उस हाथ ने
अपनी उँगलियाँ
मेरी तरफ बढ़ाईं
तो यह अहसास हुआ
कि
जिन उँगलियों को पकड़ कर
मेरा बचपन बड़ा हुआ
आज
उन उँगलियों को
उम्र की इस दहलीज़ पर
पहुँच कर
दरकार है
मेरी विश्वस्त उँगलियों की
अपनी राह तलाशने के लिए
हाथ वही हैं
उँगलियाँ भी वही
विश्वास भी वही
सहारे की मजबूती भी वही
बस आज
उन उँगलियों की
भूमिका बदल गई है
पकड़ कर
हम
अपनी राह
तलाशते थे कभी
आज
वही हाथ
अपनी उँगलियाँ
मेरी तरफ बढ़ा रही हैं
अपनी राह तलाशने को
समय के चक्र में
उँगलियों की भूमिका
कब बदल गई
पता ही नहीं चला
अभी तक
उन्हीं उँगलियों के सहारे
मैं अपनी राहें तलाशता था
आज
जब उस हाथ ने
अपनी उँगलियाँ
मेरी तरफ बढ़ाईं
तो यह अहसास हुआ
कि
जिन उँगलियों को पकड़ कर
मेरा बचपन बड़ा हुआ
आज
उन उँगलियों को
उम्र की इस दहलीज़ पर
पहुँच कर
दरकार है
मेरी विश्वस्त उँगलियों की
अपनी राह तलाशने के लिए
हाथ वही हैं
उँगलियाँ भी वही
विश्वास भी वही
सहारे की मजबूती भी वही
बस आज
उन उँगलियों की
भूमिका बदल गई है
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