पाकर
बस इक स्पर्श तुम्हारा
यह मन मंदिर बन जाता
मन के अंदर
भाव हैं जितने
उनको बस इक स्पर्श से
तुम्हारे
अर्थ कितना है मिल जाता
मन के भाव
मन में रहते
पर आँखों से यह
सब कुछ कहते
जो भी होता
मन के अंदर
दिखता आँखों के रस्ते
घंटे घड़ियाल
सब मन में बजते
दीप के थाल
मन में सजते
उड़ती जो सुगन्धित
धूप की बयार
मन सुगन्धित हो जाता
पाकर
बस इक स्पर्श तुम्हारा
यह मन मंदिर बन जाता
बस इक स्पर्श तुम्हारा
यह मन मंदिर बन जाता
मन के अंदर
भाव हैं जितने
उनको बस इक स्पर्श से
तुम्हारे
अर्थ कितना है मिल जाता
मन के भाव
मन में रहते
पर आँखों से यह
सब कुछ कहते
जो भी होता
मन के अंदर
दिखता आँखों के रस्ते
घंटे घड़ियाल
सब मन में बजते
दीप के थाल
मन में सजते
उड़ती जो सुगन्धित
धूप की बयार
मन सुगन्धित हो जाता
पाकर
बस इक स्पर्श तुम्हारा
यह मन मंदिर बन जाता
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