सम्हाल रहा हूँ
अपने संस्कारों की धरोहर
अपने काँधों पर
कि
आने वाली पीढ़ी को
सौंप सकूं
यह धरोहर
उन्हें अपने काँधे पर
बिठा कर
क्यूंकि हमने भी
पाया था इसे
पिछली पीढ़ी के काँधे पर
बैठ कर
जब
कुछ दृष्टिगोचर नहीं होता था
खुद के पैरों पर खड़े खड़े
उन काँधों पर बैठते ही
सब कुछ
नज़र आने लगता था
भ्रम और वास्तविकता का फर्क
सही और गलत का अंतर
सत्य और असत्य का भेद
बिना किसी संशय के
आत्मसात हो
आँखों के रास्ते
दिल और दिमाग पर
आधिपत्य जमाते ये संस्कार
कब आकर
इन काँधों पर सज गए
पता ही नहीं चला
अब बारी है हमारी
अगली पीढ़ी को
इन काँधों पर बिठा कर
उन्हें
संस्कारों की धरोहर
सौंपने की
कि फिर
उनके काँधों से
आने वाली पीढ़ियों को
ऐसे ही ये संस्कार
हस्तगत होते रहें
और
हर पीढ़ी
भ्रम और वास्तविकता का फर्क
सही और गलत का अंतर
सत्य और असत्य का भेद
बिना किसी संशय के
आत्मसात कर सके
पिछली पीढ़ी के काँधों पर
बैठ कर
अपने संस्कारों की धरोहर
अपने काँधों पर
कि
आने वाली पीढ़ी को
सौंप सकूं
यह धरोहर
उन्हें अपने काँधे पर
बिठा कर
क्यूंकि हमने भी
पाया था इसे
पिछली पीढ़ी के काँधे पर
बैठ कर
जब
कुछ दृष्टिगोचर नहीं होता था
खुद के पैरों पर खड़े खड़े
उन काँधों पर बैठते ही
सब कुछ
नज़र आने लगता था
भ्रम और वास्तविकता का फर्क
सही और गलत का अंतर
सत्य और असत्य का भेद
बिना किसी संशय के
आत्मसात हो
आँखों के रास्ते
दिल और दिमाग पर
आधिपत्य जमाते ये संस्कार
कब आकर
इन काँधों पर सज गए
पता ही नहीं चला
अब बारी है हमारी
अगली पीढ़ी को
इन काँधों पर बिठा कर
उन्हें
संस्कारों की धरोहर
सौंपने की
कि फिर
उनके काँधों से
आने वाली पीढ़ियों को
ऐसे ही ये संस्कार
हस्तगत होते रहें
और
हर पीढ़ी
भ्रम और वास्तविकता का फर्क
सही और गलत का अंतर
सत्य और असत्य का भेद
बिना किसी संशय के
आत्मसात कर सके
पिछली पीढ़ी के काँधों पर
बैठ कर
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