जब मैं तुमसे कहता हूँ
मैं तुमसे प्यार करता हूँ
यह मैं नहीं कहता
न ही मेरी जुबां यह कहती है
यह तो मेरे दिल की बात
मेरी जुबां से निकलती है
आँखों से भी मेरे यूँ लगता हो कभी
जैसे वो भी यही कहता हो कभी
इसमें आँखों की नहीं कोई गलती
यह भी है उस दिल की ही लगी
आँखों से भी मेरे यूँ लगता हो कभी
जैसे वो भी यही कहता हो कभी
इसमें आँखों की नहीं कोई गलती
यह भी है उस दिल की ही लगी
अब कैसे दिल को समझाऊं
कैसे इसको बतलाऊँ
कि यूँ
औरों का सहारा लेकर
औरों का सहारा लेकर
अपनी बात न कहा करे
'गर कहनी है अपनी बात
तो अपनी कोई जुबां चुना करे
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