कभी
हम उनके
चाहतों के साए में
पलते थे
कभी
धड़कन बन कर
उनके दिल में
मचलते थे
कभी
प्यार की आंच से
ख्वाब बन कर
आँखों में
पिघलते थे
कभी
उनके दिल से
इस दिल के अरमान
निकलते थे
कभी
हम हाथ थामे
साथ साथ
यूँ ही
चलते थे
कभी
राहों में उनके
हमारे प्यार के दिए
जलते थे
कभी
उनके जुल्फों के साए में
बैठे बैठे
न जाने कब ये दिन
ढलते थे
कभी
दिन के ढलते
रात हर महफ़िल में
उनकी आँखों से पीकर
हम खुद ही
सम्हलते थे
बस
उन लम्हों की यादों को
सीने से लगाए
यूँ ही जीता हूँ
कि
कभी
जो तुम कहीं से
फिर आ जाओ
तो हर उन लम्हों को
हम फिर से जी लेंगे
जिन लम्हों में
हम
कभी
साथ साथ
ज़िन्दगी को यूँ ही
जिया करते थे
प्यार की आंच से
ख्वाब बन कर
आँखों में
पिघलते थे
कभी
उनके दिल से
इस दिल के अरमान
निकलते थे
कभी
हम हाथ थामे
साथ साथ
यूँ ही
चलते थे
कभी
राहों में उनके
हमारे प्यार के दिए
जलते थे
कभी
उनके जुल्फों के साए में
बैठे बैठे
न जाने कब ये दिन
ढलते थे
कभी
दिन के ढलते
रात हर महफ़िल में
उनकी आँखों से पीकर
हम खुद ही
सम्हलते थे
बस
उन लम्हों की यादों को
सीने से लगाए
यूँ ही जीता हूँ
कि
कभी
जो तुम कहीं से
फिर आ जाओ
तो हर उन लम्हों को
हम फिर से जी लेंगे
जिन लम्हों में
हम
कभी
साथ साथ
ज़िन्दगी को यूँ ही
जिया करते थे
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