कहीं खो गया है मुझसे
मेरे चैन का वो टुकड़ा
जिसके सहारे कभी मैं
पतंगों सरीखा उड़ता था
शायद ज़िन्दगी की आपा धापी में
या फिर रिश्तों की आवा जाही में
कहीं खो गया है मुझसे
मेरे चैन का वो टुकड़ा
उम्मीदों के ऊंचे टीलों पर
मन के बंजर सपाट मीलों पर
कहीं खो गया है मुझसे
मेरे चैन का वो टुकड़ा
ज़िन्दगी के बोझ तले
जाने कितने सपने कुचले
वहीँ खो गया है शायद
मेरे चैन का वो टुकड़ा
मेरे चैन का वो टुकड़ा
जिसके सहारे कभी मैं
पतंगों सरीखा उड़ता था
शायद ज़िन्दगी की आपा धापी में
या फिर रिश्तों की आवा जाही में
कहीं खो गया है मुझसे
मेरे चैन का वो टुकड़ा
उम्मीदों के ऊंचे टीलों पर
मन के बंजर सपाट मीलों पर
कहीं खो गया है मुझसे
मेरे चैन का वो टुकड़ा
ज़िन्दगी के बोझ तले
जाने कितने सपने कुचले
वहीँ खो गया है शायद
मेरे चैन का वो टुकड़ा
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