कभी ऐसा हो कि
सवेरा हो
पर उस सवेरे से पहले
सवेरे का सूरज देखने को
मैं ना रहूँ
उस सवेरे से पहले
किसी एक पल में
मेरे सारे पल ख़त्म हो जाएँ
और मैं
उस सवेरे के सूरज से
अनजान रहूँ
फिर क्या
उस सवेरे के सूरज की
किरणों से
तुम मेरा होना या ना होना
पकड़ पाओगे
नहीं न !
इसलिए तो कहता हूँ
मैं इक हवा का झोंका हूँ
आया हूँ
कुछ पल बह कर
जाने को
वो पल जब ख़त्म हो तो
मुझे रोको नहीं
जाने दो
क्योंकि
कोई और हवा का झोंका
बहता हुआ आएगा
और मेरी जगह लेगा
और दुनिया
यूँ ही सतत चलती रहेगी
सवेरा हो
पर उस सवेरे से पहले
सवेरे का सूरज देखने को
मैं ना रहूँ
उस सवेरे से पहले
किसी एक पल में
मेरे सारे पल ख़त्म हो जाएँ
और मैं
उस सवेरे के सूरज से
अनजान रहूँ
फिर क्या
उस सवेरे के सूरज की
किरणों से
तुम मेरा होना या ना होना
पकड़ पाओगे
नहीं न !
इसलिए तो कहता हूँ
मैं इक हवा का झोंका हूँ
आया हूँ
कुछ पल बह कर
जाने को
वो पल जब ख़त्म हो तो
मुझे रोको नहीं
जाने दो
क्योंकि
कोई और हवा का झोंका
बहता हुआ आएगा
और मेरी जगह लेगा
और दुनिया
यूँ ही सतत चलती रहेगी
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