देखता हूँ जब तुम्हें
यूँ ही बैठे बैठे
कभी कोने से नैनों के
भर उठता है मन
अभिमान से
शायद
तुम्हें पाने का अभिमान
या फिर तुम्हारा
यूँ मेरे होने का अभिमान
अभिमान तुम्हारे प्यार का
अभिमान तुम्हारे दुलार का
अभिमान तुम्हारी फ़िक्र का
अभिमान तुम्हारे ज़िक्र का
बस यूँ ही अभिमान से भरे हुए मन में
उठते हैं हाथ दुआओं में
कि हर जीवन में
हे ईश्वर
मेरे इस अभिमान का
मान रखना
और हर जनम
तुम यूँ ही
मेरा अभिमान बनना
यूँ ही बैठे बैठे
कभी कोने से नैनों के
भर उठता है मन
अभिमान से
शायद
तुम्हें पाने का अभिमान
या फिर तुम्हारा
यूँ मेरे होने का अभिमान
अभिमान तुम्हारे प्यार का
अभिमान तुम्हारे दुलार का
अभिमान तुम्हारी फ़िक्र का
अभिमान तुम्हारे ज़िक्र का
बस यूँ ही अभिमान से भरे हुए मन में
उठते हैं हाथ दुआओं में
कि हर जीवन में
हे ईश्वर
मेरे इस अभिमान का
मान रखना
और हर जनम
तुम यूँ ही
मेरा अभिमान बनना
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