अक्सर हमारे रिश्ते
अर्थशास्त्र के पैमाने पर भी
खरे उतरते हैं
जिन रिश्तों की आपूर्ति
बहुत ज्यादा होती है
वो अक्सर
मांग में कम ही रहते हैं
जो रिश्ते
हमें मुश्किल से मिलते हैं
वो मांग में
हमेशा बढ़ कर रहते हैं
रिश्तों में जहां
उम्मीदें जुड़ कर
उनका मोल बढ़ाती हैं
वो रिश्ते फिर
मांग में कम ही रह जाती हैं
जो रिश्ते
प्यार में ढल कर
मांग के अनुरूप
खुद को ढालते हैं
वो रिश्ते सबसे ज्यादा
पूजे जाते हैं
और मांग में भी
सबको पीछे छोड़ जाते हैं
ऐसे रिश्तों का ग्राफ
हमेशा धनात्मक ही बढ़ता है
और हमेशा
सबकी आँखों में रहता है
अर्थशास्त्र के पैमाने पर भी
खरे उतरते हैं
जिन रिश्तों की आपूर्ति
बहुत ज्यादा होती है
वो अक्सर
मांग में कम ही रहते हैं
जो रिश्ते
हमें मुश्किल से मिलते हैं
वो मांग में
हमेशा बढ़ कर रहते हैं
रिश्तों में जहां
उम्मीदें जुड़ कर
उनका मोल बढ़ाती हैं
वो रिश्ते फिर
मांग में कम ही रह जाती हैं
जो रिश्ते
प्यार में ढल कर
मांग के अनुरूप
खुद को ढालते हैं
वो रिश्ते सबसे ज्यादा
पूजे जाते हैं
और मांग में भी
सबको पीछे छोड़ जाते हैं
ऐसे रिश्तों का ग्राफ
हमेशा धनात्मक ही बढ़ता है
और हमेशा
सबकी आँखों में रहता है
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