Tuesday 8 January 2013

रिश्तों का अर्थशास्त्र

अक्सर हमारे रिश्ते

अर्थशास्त्र के पैमाने पर भी

खरे उतरते हैं

जिन रिश्तों की आपूर्ति

बहुत ज्यादा होती है

वो अक्सर

मांग में कम ही रहते हैं

जो रिश्ते

हमें मुश्किल से मिलते हैं

वो मांग में

हमेशा बढ़ कर रहते हैं

रिश्तों में जहां

उम्मीदें जुड़ कर

उनका मोल बढ़ाती हैं

वो रिश्ते फिर

मांग में कम ही रह जाती हैं

जो रिश्ते

प्यार में ढल कर

मांग के अनुरूप

खुद को ढालते हैं

वो रिश्ते सबसे ज्यादा

पूजे जाते हैं

और मांग में भी

सबको पीछे छोड़ जाते हैं

ऐसे रिश्तों का ग्राफ

हमेशा धनात्मक ही बढ़ता है

और हमेशा

सबकी आँखों में रहता है






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