Sunday 6 January 2013

बस इक तुम हो


वसंत की बहार में
जेठ की पछार में
सावन की फुहार में
शीत की बयार में
                       बस इक तुम हो

ताल की पसार में
झरने की फुहार में
नदी की धार में
सागर के विस्तार में
                       बस इक तुम हो

बागों की बहार में
कलियों की शुमार में
फूलों की कतार में
खुश्बू की खुमार में
                      बस इक तुम हो

दिल की हर पुकार में
मन के लाड़ दुलार में
मेरे हर इकरार में
सपनों के संसार में
                      बस इक तुम हो

2 comments:

  1. जि‍धर देखो उधर बस तुम ही तुम हो.....प्‍यारे अहसास

    ReplyDelete
  2. Are you talking of the "Mowgli Girl"?

    ReplyDelete