वसंत की बहार में
जेठ की पछार में
सावन की फुहार में
शीत की बयार में
बस इक तुम हो
ताल की पसार में
झरने की फुहार में
नदी की धार में
सागर के विस्तार में
बस इक तुम हो
बागों की बहार में
कलियों की शुमार में
फूलों की कतार में
खुश्बू की खुमार में
बस इक तुम हो
दिल की हर पुकार में
मन के लाड़ दुलार में
मेरे हर इकरार में
सपनों के संसार में
बस इक तुम हो
जिधर देखो उधर बस तुम ही तुम हो.....प्यारे अहसास
ReplyDeleteAre you talking of the "Mowgli Girl"?
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