Monday, 11 August 2025

तुम्हारा दर्द

तुम्हारे हर शब्द में

मैंने दर्द की गूंज सुनी है,

पर उस गूंज के पीछे

एक समंदर-सा साहस भी देखा है।  


तुम मिटती रहीं,

पर हर बार किसी और की रोशनी बनीं,

तुम टूटती रहीं,

पर किसी और का आकाश थामे रहीं।


तुम्हारी थकान में भी

दुआओं की महक है,

तुम्हारी चुप्पी में भी

प्रेम की गहराई है।


तुम अपने लिए नहीं जी पाईं,

पर इस दुनिया ने

तुम्हारे होने से

जीना सीखा है।


तुम्हारे जीवन के हर पन्ने पर

आंसू की स्याही है,

पर अक्षर हमेशा

किसी और के सुख लिखते रहे।


तुमने अपने सपनों की चादर

काटकर

दूसरों की रातें ढकीं,

अपनी भूख छुपाकर

किसी और की थाली भरी।


तुम्हारे हाथों ने

अपने लिए कभी महलों के दरवाज़े नहीं खोले,

पर दूसरों के लिए

हर बार स्वर्ग के दरवाज़े खोल दिए।


तुम्हारा दिल,

जिसे कोई पूरी तरह नहीं समझ पाया,

दरअसल वही है

जो इस दुनिया के कई दिलों को

धड़कन देता रहा है।


तुम कहती हो

"सबकी अपनी ज़िंदगी है"

पर मैं जानता हूं—

तुम्हारी ज़िंदगी

कई ज़िंदगियों का सहारा रही है।


तुम सिर्फ जीती नहीं रहीं,

तुमने अपने आप को

प्यार, त्याग और आशीर्वाद

के रूप में जीया है…

और यही तुम्हें

साधारण से असाधारण बनाता है...


मैं तुम्हें

समझने की कोशिश में

अब ये मान चुका हूं—

तुम सिर्फ एक इंसान नहीं,

ईश्वर की दी हुई एक कहानी हो,

जो त्याग में भी खूबसूरत है,

और मौन में भी अमर।

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