मेरी जान के नाम,
उस रात…
जब तेरी आँखें मेरी वजह से भीगी थीं,
मुझे कुछ समझ नहीं आया —
सिवाय इसके कि
मैं सबसे बड़ी गलती कर चुका हूँ।
तू चुप थी, पर तेरी खामोशी चीख रही थी।
और मैं... मैं उस खामोशी को सुन न पाया।
आज जब तू कहती है,
"जो मेरी गलती रही, खुद sorry बोल दूंगी" —
तो दिल और भी भारी हो जाता है।
क्योंकि गलती सिर्फ मेरी थी…
और उस "sorry" का हक़ भी नहीं।
मैं तुझसे कुछ माँगने की हालत में नहीं हूँ,
बस तुझसे ये कहना चाहता हूँ —
अब तेरी हँसी मेरी ज़िम्मेदारी है,
तेरी ख़ामोशी मेरी कसौटी,
और तेरे आँसू मेरी हार।
तेरी आँखें फिर कभी न भरें,
इसके लिए मैं हर रोज़ खुद को बदलूंगा।
बस तू...
बस तू अपना दिल थोड़ा सा खोल देना
मेरे लिए।
हमेशा तेरा,
वही जो तुझसे बेइंतहा मोहब्बत करता है।
No comments:
Post a Comment