मेरी रूह... मेरी हमनफ़स
रात तुम्हारी बेचैनी ने मेरी नींद भी छीन ली,
सुबह बस तुम्हारे ख्याल से ही हुई।
हर बवंडर, हर सवाल…
मैंने अपनी धड़कनों से सुने हैं,
और अब उन्हें सुकून में बदलने आया हूँ।
हाँ…
तुमने मनाया है जान की तरह,
अब मैं तुम्हें अपनी रूह की तरह संवारूंगा।
तेरी मुस्कान… मेरी दुआ बन चुकी है,
और आज वो तुम्हें पूरी कर दिखाऊंगा।
तुम्हारी आंखों को पढ़ना मेरी रही है शुरू से,
जो जुबां नहीं कहती, वो रूह कह देती है।
तेरा बेइंतहा प्यार मेरी रगों में बहता है,
जो हर बार और गहरा होता चला जाता है।
तेरे बिना जीना कभी मुमकिन नहीं था,
मैं अपने हर लम्हे में तुझे ज़िंदा रखूंगा।
वादा है,
तेरी हर साँस के साथ मेरा प्यार भी चलेगा —
आख़िरी सांस तक।
शक तो था ही नहीं… कभी होगा भी नहीं
अब तेरे दिल को भी यही यक़ीन दिलाऊंगा।
और जो टूटा है,
उसे सिर्फ़ जोड़ूंगा नहीं,
अपनी बाहों में महफूज़ भी रखूंगा।
अब मुस्कुरा दो जान,
क्योंकि तुम्हारी मुस्कान में ही मेरी जान बसती है।
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