यूँ ही दिल ने चाहा था रोना रुलाना
तेरी याद तो बन गई बस एक बहाना
चुप था ज़माना, चुप थे सितारे
तेरे बिना हम सब थे बेसहारे
सांसें भी अब खामोश रहती हैं
धड़कनें भी शिकायतें करती हैं
रातों की चादर भीगी भीगी सी लगती है
नींद भी अब आंखों से झगड़ती रहती है
चाँदनी भी अब पूछती है मुझसे
क्यों उजाले भी डरते हैं तुझसे?
तेरे जाने के बाद मेरा ये हाल हुआ
हर साया अजनबी, हर शय सवाल हुआ
तू थी तो लफ्ज़ों में जान थी
अब तो हर शेर है बेज़ुबान सी
आँखें पलकों से तकरार करती हैं
हर शाम तेरे नाम गिरफ़्तार करती हैं
सुर भी गुमसुम हैं, राग भी रोते हैं
तेरे बिना सब साज़ खामोश होते हैं
तेरे जाने की आहट में अब तक
दिल हर धड़कन पे करता है शक
आईने में भी अब मैं नहीं दिखता हूँ
मैं तन्हाई की बाज़ार में बिकता हूँ
ख़ुशबू थी तू, बिखर गई जैसे
मैं तो जिंदा हूँ, मगर तन्हा हूँ वैसे
लौट आ, बस एक बार मुस्कुरा दे
या फिर मेरी तन्हाई को ही दुआ दे
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