जब मैंने तुमको पहली बार देखा था...
वो क्षण
शायद वक़्त ने
खुद थाम कर रखा था
ताकि हम उसे
पूरे जीवन तक
महसूस करते रहें
तुम
यौवन की देहरी पर खड़ी
समय से भी सुंदर
प्रभात की पहली किरण जैसी
अपने होठों पर
कोमल, अनछुई मुस्कान लिए
बस मुझे निहार रही थी
तुम्हारी आँखें—
गहराइयों से भरी
जैसे किसी पुराने जन्म की
पहचान लिए हों
मेरी साँसें
थोड़ी थमीं
थोड़ी कांपीं
फिर स्थिर हो गईं
जैसे
तुममें ही विलीन हो जाना चाहती हों
उस एक पल में
सारी सृष्टि
हम दोनों की चुप नज़रों में
समा गई थी
---
हम मिले—तो जैसे रूहें गले मिलीं...
तेरे शब्दों से पहले
तेरी खामोशियाँ
मुझसे बातें करने लगीं
तू बोलती नहीं थी
पर मैं सुनता था
हर धड़कन में
तेरा नाम गूंजता था
हम दो नहीं थे
कभी थे ही नहीं
हम एक ही धड़कन के
दो सिरों से जुड़े थे
जिसे कोई समझ न पाया
तू मेरी रूह में
इस तरह उतर आई
जैसे बारिश
सूखी धरती में समा जाए
बिना कोई आहट किए
बस जीवन भर की प्यास मिटा जाए
---
फिर दुनिया जागी...
और दुनिया ने
हमारा प्रेम देखा
पर समझा नहीं
रिवाज़ों की बेड़ियाँ
रस्मों की जंजीरें
नाम, जाति, कुल, धर्म...
इतनी सारी दीवारें खड़ी कर दी गईं
कि हमारा प्यार
दम घुटने लगा
हमें अलग किया गया
जैसे दो परिंदों को
पिंजरे के दो कोनों में बाँट दिया गया हो
तेरी आँखों में
तब पहली बार
बिना शब्दों के रोते देखा था
और वो आँसू
मेरी आत्मा पर
ताउम्र के लिए
गहरे निशान छोड़ गए
---
फिर शुरू हुआ इंतज़ार...
वक़्त चलता रहा
पर मेरा दिल वहीं ठहरा रहा
जहाँ तू बिछड़ी थी
हर ख़ुशी
तेरे बिना अधूरी थी
हर रास्ता
तेरे साए को ढूँढता था
मैं जीता रहा
बस यूँ ही
तू कहीं दूर
पर हर पल
मेरे बहुत पास थी
तेरी आवाज़
तेरी हँसी
तेरी नाराज़गी
सब यादें बनकर
रोज़ मुझे तोड़ती रहीं
और फिर जोड़ती रहीं
---
फिर तू मिली...
वर्षों बाद
किसी मोड़ पर
वक़्त ने हमें
फिर से मिला दिया
तू सामने थी—
थोड़ी थकी हुई
थोड़ी टूटी हुई
पर अब भी
उतनी ही मेरी
तेरी आँखों में
अब भी वही गहराई थी
पर अब उसमें
वर्षों का दर्द भी समाया था
हम दोनों
खामोश थे
पर उस खामोशी में
हज़ारों चीखें थीं
हज़ारों सवाल
हज़ारों जवाब
एक आँसू
तेरी आँख से गिरा
जो मेरी रूह को
भीगता चला गया
---
अब हम साथ हैं...
अब हम फिर साथ हैं
पर अब प्रेम
शब्दों का मोहताज नहीं
अब ना कसमें
ना वादे
ना इकरार
बस एक ठहरी हुई
गहरी समझ है
अब तेरा हाथ थामना
पूरे जीवन की तपस्या जैसा लगता है
अब तुझे खो देने का डर नहीं
क्योंकि अब
हम दोनों
एक-दूसरे में ही हैं
हम फिर दो बदन
एक जान हैं
थोड़े टूटे हुए
पर पूरे
थोड़े चुप
पर सच्चे
थोड़े बचे हुए
पर हमेशा के लिए...
No comments:
Post a Comment