वो दर्द…
जो मैंने तुझे
अनकहे दिया था…
अब भी
मेरे हर लम्हे में सांस लेता है…
वो अनकहा दर्द
तेरे नाम करता हूँ,
जो कभी कहा नहीं
वो हर जज़्बात
तेरे नाम रखता हूँ।
तू था…
या तू अब भी है,
बस इसी सवाल में
हर रात कटती है।
मैंने तुझे देखा
जाते हुए,
बिना कुछ कहे…
तेरी ख़ामोशी
मेरे सीने में
बोलने लगी थी।
तेरे जाने के बाद
कमरे में
हर चीज़ ठहर गई,
सिर्फ़ दिल की धड़कन
अब भी चलती है
तेरे नाम पर।
वो अनकहा दर्द
तेरे नाम करता हूँ,
जो कभी कहा नहीं
वो हर जज़्बात
तेरे नाम रखता हूँ।
तू था…
या तू अब भी है,
बस इसी सवाल में
हर रात कटती है।
चाय ठंडी हो गई,
पर कप अब भी वहीं है
जहाँ तूने रखा था।
वो किताबें
तेरे बाद
किसी ने नहीं छुई,
जैसे पन्नों में
तेरी साँसें बसी हों।
हर शाम
एक पुराना सूरज
तेरे चेहरे की याद लेकर
ढल जाता है…
और मैं
अँधेरा ओढ़ लेता हूँ।
कभी तुझे पुकारने
मन करता है,
पर आवाज़
गले में ही
सूख जाती है।
तेरा नाम
अब भी लिखता हूँ,
पर आँसू
हर बार मिटा देते हैं।
वो अनकहा दर्द
तेरे नाम करता हूँ,
जो कभी कहा नहीं
वो हर जज़्बात
तेरे नाम रखता हूँ।
तू था…
या तू अब भी है,
बस इसी सवाल में
हर उम्र कटती है।
अगर कभी लौटे
तेरी राहों में
वही हवा…
तो समझ लेना,
मैंने फिर से
तुझे याद किया है…
बिना कुछ कहे।
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