Wednesday, 7 May 2025

तुझसे बिछड़ कर

 तुझसे बिछड़ कर

मैं भी रोया था
पर मुस्कुरा कर
तुझे कैसे
रुसवा करता
आँसू बहा कर

दिल की दीवारें
टूट गई थीं
तेरी यादों से
रातें भीगीं
तेरे बिना मैं
छुप-छुप कर जीया

तेरे इशारों
पे जो जिया था
वो हर लम्हा
अब सज़ा सा
लगने लगा है
तेरे बिना सा

लब तो चुप थे
पर आंखें कहतीं
हर दफ़ा तुझको
ही पुकारें
तेरे नाम की
आहें भरतीं

माँगा था तुझको
हर एक दुआ में
मिला नहीं तू
इस बदनसीबी में
तेरे बाद तो
ख़ुशियाँ भी झूठीं

तेरी गली से
अब भी गुज़रता
धड़कनें रुककर
तेरा नाम कहतीं
पर लौट आना
अब मुमकिन कहाँ था

तुझसे बिछड़ कर
मैं भी रोया था
पर मुस्कुरा कर
तुझे कैसे
रुसवा करता
आँसू बहा कर

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