तेरे जाने के बाद
ये खामोशी ये तन्हाई
मेरी ग़म में
शिद्दत से शामिल हैं
हर डगर
तेरा साया ढूंढूं
हर मोड़ पर बस
तेरा नाम बुनूं
हवा भी अब
अजनबी सी लगती है
तेरे एक स्पर्श को
हर सांस तरसती है
कमरे में तन्हाई
कुछ कहती नहीं
बस दीवारें
चुपचाप सहती रहीं
तेरा तकिया भी अब
मुझसे रूठ गया
तेरी ख़ुशबू तक
कमरे से छूट गया
कभी जो
तेरे बालों में उलझा वक़्त था
जुदाई में अब हर लम्हा
सिसकता रहता है
किताबें भी
अब नहीं पढ़ी जाती है
हर लफ्ज़ में
तेरी तस्वीर दिख जाती है
वो जो तू हँसी थी
शाम की रौशनी में
वो हँसी
अब चुभती है हर तन्हाई में
ख़ुद से मिलने का
अब दिल नहीं करता है
आईना देखूँ तो
चेहरा भी डरता है
माँगा था तुझसे
बस थोड़ा सा सुकून
मिला दर-बदर
टूटा हुआ जुनून
अब न शिकवा है
न सिला कोई
बस तू जो आ जाती
नहीं होता गिला कोई
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